वक्फ संशोधन अधिनियम (Wakf Amendment Act) के खिलाफ पश्चिम बंगाल (West Bengal) के मुर्शिदाबाद जिले (Murshidabad District) में हुई हिंसा (Violence) पर हलचल जारी है। जिले के शमशेरगंज, और धूलियान जैसे इलाकों में अब भी तनाव है। सबसे अधिक प्रभावित बेतबोना इलाके में शनिवार को राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) की अध्यक्ष विजया रहाटकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा।
जैसे ही पीड़ित महिलाओं की नज़र आयोग के सदस्यों पर पड़ी, वे गले लगकर फूट-फूट कर रोने लगीं। महिलाओं ने बताया कि उनके घर, दुकानें और ज़िंदगी की पूंजी सब कुछ जलकर राख हो गया। छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को जान बचाने के लिए शिविरों और जंगलों में शरण लेनी पड़ी।
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महिलाओं ने आयोग से इलाके में स्थायी बीएसएफ कैंप की मांग करते हुए कहा कि जब तक उन्हें सुरक्षा का भरोसा नहीं मिलेगा, वे अपने घरों को नहीं लौटेंगी। कुछ ने तो यहां तक कहा कि वे अपनी ज़मीन तक देने को तैयार हैं अगर बदले में उन्हें और उनके परिवार को सुरक्षा मिल सके। आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने पीड़ितों को भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय इस पूरे घटनाक्रम पर गंभीरता से नज़र बनाए हुए हैं और दिल्ली लौटकर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी। आयोग ने राज्य प्रशासन से भी संवेदनशीलता के साथ पीड़ितों की मदद करने का अनुरोध किया है।
राज्यपाल का दौरा और स्थायी सुरक्षा की मांग
इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आग्रह को नज़रअंदाज़ करते हुए राज्यपाल डॉ. सी. वी. आनंद बोस ने जाफराबाद का दौरा किया, जहां हरगोविंद दास और उनके पुत्र चंदन दास की हत्या हुई थी। राज्यपाल ने पीड़ित परिजनों से मिलकर न्याय का भरोसा दिलाया और कहा, “मेरी प्राथमिकता केवल शांति बहाल करना है। लोगों ने मुझसे सीधे संपर्क करने के लिए नंबर मांगा है, और मैंने उन्हें दिया है।” राज्यपाल के दौरे के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने प्लेकार्ड लेकर विरोध-प्रदर्शन किया और क्षेत्र में स्थायी सीएपीएफ कैंप की मांग दोहराई ताकि भविष्य में इस तरह की हिंसा दोबारा न हो।
बालुरघाट में भी वक्फ विवाद की आंच, भाजपा की रैली में बवालउधर मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा की आग की तपिश बालुरघाट में भी महसूस की गई जहां शनिवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के नेतृत्व में निकाली गई रैली के दौरान जिला शासक कार्यालय के सामने तनावपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई। पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को तोड़कर आगे बढ़ने की कोशिश के दौरान कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प हुई। इस रैली का उद्देश्य मुर्शिदाबाद में हुए हिंसा के साथ-साथ राज्यभर में 26 हजार शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की नौकरी छिनने के विरोध में सरकार पर दबाव बनाना था।
अब तक 315 गिरफ्तार, दो नाबालिग रिहाइस हिंसा के सिलसिले में अब तक 315 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है, जिनमें दो नाबालिग भी शामिल थे जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया। ज़्यादातर आरोपित अब भी हिरासत में हैं।
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक 8 अप्रैल को रघुनाथगंज थाना क्षेत्र के पीडब्ल्यूडी मैदान में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन ने अचानक उग्र रूप ले लिया था। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, पुलिसकर्मियों पर हमला किया एवं हथियार भी छीन लिए।
12 और 13 अप्रैल को शमशेरगंज के घोषपाड़ा और कंचनतला इलाकों में विशेष रूप से हिन्दू परिवारों को निशाना बनाकर उनके घरों में घुसकर तोड़फोड़ और आगज़नी की गई। कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 12 अप्रैल को केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया था, जिसके बाद हालात कुछ हद तक सामान्य हो सके।
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