…जब भारत सरकार ने मांगा नागरिकों से लोन

भारत सरकार को लोन चाहिए और विकसित शहर लाहौर की बड़ी कंपनी ने इस लोन के विज्ञापन पत्रकों की छपाई की। भारत सरकार द्वारा इसे विक्टरी लोन योजना कहा गया। इसके अंतर्गत सरकार को लोन देनेवालों को सरकार ने 3 प्रतिशत ब्याज देने का निर्णय किया है। ये घटना है सन 1944 की जब सरकार ने लाहौर के फिरोज सन्स से छपवाकर विज्ञापन पत्रक मंगवाया था।

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रविंद्र बिवलकर
आज लोन लेना जनता की जरूरत बन गई है। किसान से लेकर आम शहरी सभी लोन के बोझ में दबे हैं। लेकिन एक घटना ऐसी भी है जब भारत सरकार ने लोगों से लोन मांगा और उसके पत्रक लाहौर से छपवाकर मंगाए गए।

भारत सरकार को लोन चाहिए और विकसित शहर लाहौर की बड़ी कंपनी ने इस लोन के विज्ञापन पत्रकों की छपाई की। भारत सरकार द्वारा इसे विक्टरी लोन योजना कहा गया। इसके अंतर्गत सरकार को लोन देनेवालों को सरकार ने 3 प्रतिशत ब्याज देने का निर्णय किया है। ये घटना है सन 1944 की जब सरकार ने लाहौर के फिरोज सन्स से छपवाकर विज्ञापन पत्रक मंगवाया था। इसमें विक्टरी लोन के लिए लोगों को प्रोत्साहित किया गया था। उस समय सी.डी देशमुख रिजर्व बैंक के गवर्नर थे।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक में है पत्रक
76 साल पहले का एक विज्ञापन पत्र स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक के संदर्भ ग्रंथालय में मिला। इस विज्ञापन पत्र ने एक कौतुहल मन में पैदा कर दिया। इससे एक बात जो निकलकर आई वो ये थी कि लोगों से लोन लेने की योजना उस काल से चली आ रही है। जिसे आज गोल्ड स्कीम या गोल्ड बांड कहा जाता है। ये उस समय विक्टरी लोन के माध्यम से मांगा गया था। जबकि दूसरी बात ये कि उस काल का विकसित लाहौर आज आतंक की विपदा की शरणस्थली है। लाहौर में भ्रष्टाचार, अत्याचार, अपराध चरम पर है।

भारत सरकार के वित्त विभाग ने ये विज्ञापन पत्रक जारी किये थे। ये स्मारक के संदर्भ ग्रंथालय की एक पुस्तक से मिला। हिंदुस्थान पोस्ट के पाठकों के लिए इसकी स्कैन प्रति प्रस्तुत है। इस विक्टरी लोन योजना की शुरुआत के साढ़े तीन साल बाद ही भारत स्वतंत्र हो गया था। स्वतंत्रता के साथ देश का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान के रूप में नया राष्ट्र भारत से अलग होकर बना। सरकार की इस योजना में कोई भी और कितने भी पैसे का इन्वेस्टमेंट कर सकता था। उस पर वार्षिक 3 प्रतिशत का ब्याज दिया जाना था। इसके अलावा उस समय आयकर भी ब्याज पर लागू था। इस विज्ञापन पत्र में आयकर सरचार्ज का नियम लागू था। पत्रक में योजना के बारे में पूरी जानकारी है। मसलन, योजना में इन्वेस्टमेंट कहां किया जाए आदि। इसमें निवेशकर्ता को उसके धन की पूरी सुरक्षा का आश्वासन दिया गया था।

यह विज्ञापन पत्र उस काल के भारत और लाहौर की स्थिति का जीवित प्रमाण है। इन वर्षों में भारत महाशक्ति बन चुका है और लाहौर आतंक, अपराध, गरीबी का गढ़ बन गया है। इसी प्रकार इस पत्रक को छापनेवाले फिरोज संस ने छापाखाना बंद करके फार्मास्यूटिकल कंपनी शुरू कर दिया है।

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