योग गुरु या विवादों के गुरु? जानिये, कब-कब बिगड़े बाबा के बोल

बाबा रामदेव 21 मई को एलोपैथी को मूर्खतापूर्ण विज्ञान बताने और फिर दबाव में माफी मांगने के बाद भी अपनी बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंंने जहां इस बीच एलोपैथी पद्धति में कई रोगों के लिए उपचार और दवा उपलब्ध नहीं होने को लेकर सवाल दागे, वहीं अपने खिलाफ दर्ज मामले को लोकर कहा कि किसी के बाप में दम नही है कि मुझे गिरफ्तार करे।

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योग गुरु बाबा रामदेव और विवाद का पुराना संबंध है। वे कब क्या बोल दें, इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है। उनके इसी बड़बोलेपन के कारण कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास रहे योग गुरु से पीएम ने दूरी बना ली है। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी पर अपनी पकड़ रखने वाले बाबा से भाजपा ने भी किनारा कर लिया है। बाबा रामदेव  पिछले एक हफ्ते से लगातार एलोपैथी को लेकर विवादस्पद बयान दे रहे हैं।

21 मई को एलोपैथी को मूर्खतापूर्ण विज्ञान बताने और फिर दबाव में माफी मांगने के बाद भी वे अपनी बयानबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। उन्होंंने जहां इस बीच एलोपैथी पद्धति में कई रोगों के लिए उपचार और दवा उपलब्ध नहीं होने को लेकर सवाल दागे, वहीं अपने खिलाफ दर्ज मामले को लोकर कहा कि किसी के बाप में दम नहीं है कि मुझे गिरफ्तार करे।

वैक्सीन को लेकर दिया ऐसा बयान
कोरोना से बचाव के लिए जहां वैक्सीन को वरदान माना जा रहा है, वहीं योग गुरु ने घोषणा की है कि वे संक्रमण से बचने के लिए टीका नहीं लगवाएंगे। योग गुरु ने कहा कि वे योग और आयुर्वेद का डबल डोज ले रहे हैं। इसलिए उन्हें टीका लगवाने की कोई जरुरत नहीं है। उन्होंने दावा किया कि कोरोना के कितने भी वैरिएंट आ जाएं, उन्हें संक्रमण नहीं होगा, क्योंकि उन्हें योग संभाल लेगा। कोरोना को हराने के लिए लोगों को अपने इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत करना होगा।

बाबा की डेयरी यूनिट के सीईओ की कोरोना से मौत
बाबा रामदेव जहां कोरोना को हराने और वैक्सीन नहीं लेने की बातें कर रहे हैं, वहीं पतंजलि की डेयरी यूनिट के सीईओ सुनील बंसल कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए। पिछले दिनों कोरोना से उनकी मौत हो गई। वे 57 साल के थे। उन्होंने 2018 में यह जिम्मेदारी संभाली थी। कोरोना के कारण उनके फेफड़े खराब हो गए थे। बाबा बंसल को स्वस्थ नहीं कर पाए और उनकी असमय मौत हो गई।

बाबा के विवादास्पद बोल

  • बाबा रामदेव ने 21 मई को एक बार फिर एलोपैथी को लेकर विवादास्पद बयान देकर एलोपैथी डॉक्टरों के साथ ही केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के भी निशाने पर आ गए। उन्होंनो एलोपैथी को मूर्खतापूर्ण विज्ञान बताया।
  • इसके बाद योग गुरु ने एलोपैथी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सर्जरी कोई साइंस नहीं, बल्कि स्किल है। उनका कहना है कि आने वाले समय में लोग आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ज्यादा भरोसा करेंगे और अपनाएंगे।
  • कोरोना वैक्सीन पर बयान देते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि कोरोना वैक्सीन शत प्रतिशत प्रभावी नहीं है। कोरोना वैक्सीन लगवाने के बावजूद लोग संक्रमित हो रहे हैं।
  • पिछले कुछ महीनों में लाखों लोगों को वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है, क्योंकि एलोपैथी में सभी बीमारी का उपचार संभव नहीं है।
  • बाबा रामदेव ने मांग की है कि आयुर्वेद में भी शल्य चिकित्सा की अनुमति दी जाए। बाबा ने कहा कि एलोपैथी में एंटीबायोटिक दवा दी जाती है, जिससे शरीर पर दुष्परिणाम पड़ता है।

पहले भी दे चुके हैं विवादास्पद बयान

  • इसी फरवरी में बाबा रामदेव ने जब कोरोना की दवा बताकर आयुर्वेदिक प्रोडक्ट लॉन्च किया था, तब उनके निशाने पर एलोपैथी डॉक्टर रहे थे।
  • जब बाबा रामदेव और ज्यादा विवादों में घिर गए तो उन्होंने अपनी दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन से अप्रूव बताया। बाद में डब्ल्यूएचओ ने उनके बयान का खंडन करते हुए कहा था कि संगठन ने ऐसी किसी दवा को मंजूरी नहीं दी है।
  • खास बात यह है कि इस दवा लॉन्चिंग के समय केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत कई अन्य मंत्री उपस्थित थे।
  • 2013 में रामदेव के निशाने पर एलोपैथी डॉक्टर ही नहीं, राजनैतिक लोग भी रहे थे। उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ज्यादातर कांग्रेसी समलैंगिक हैं। उन्होंने इसे एक बीमारी बताते हुए कहा था कि इसका उनके पास उपचार भी मौजूद है।
  • कुछ साल पहले उन्होंने रोहतक में आयोजित सद्भावना सम्मेलन में कहा था कि टोपी पहनने वाले (मुसलमान) भारत माता की जय नहीं बोलते। उन्होंने कहा था कि उनके हाथ कानून से बंधे हैं, नहीं तो ऐसे लाखों लोगों के सिर काटने की वे हिम्मत रखते हैं।
  • बाबा रामदेव ने हरिद्वार कुंभ में कहा था कि उनके जैसे कुंवारों को विशेष सम्मान दिया जाना चाहिए, इसके साथ ही बाबा ने कहा था कि दो बच्चे पैदा करनेवालों को वोट देने का अधिकार नहीं होना चाहिए।
  • योग गुरु ने पद्म पुरस्कारों को लेकर भी निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि देश में पद्म पुरस्कारों के लिए पूरी लॉबिंग होती है। उसी के माध्यम से ये पुरस्कार दिए जाते हैं।
  • इसी तरह एक बार बाबा रामदेव ने आदि शंकराचार्य के दर्शन ‘ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या’ को चुनौती देते हुए उसे लोगों को निकम्मा और कामचोर बनाने के लिए जिम्मेदार बताया था।

ये है सच्चाई
सबसे बड़ी बात तो यह है कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाले बाबा और उनके खास आचार्य बाल कृष्ण जब बीमार पड़े थे तो उन दोनों को एलोपैथी का उपचार लेना पड़ा था।

बाबा रामदेव
एलोपैथी पर निशाना बनाते रहने वाले बाबा रामदेव शायद भूल गए हैं कि जब वे भ्रष्टाचार और काले धन के मुद्दे पर जून 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे थे और उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, तो एलोपैथी इलाज से  ही वे स्वस्थ हुए थे। उन्हें उत्तराखंड के हिमालयन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां उन्हें आईसीयू में रखा गया था और एलोपैथी दवाएं भी दी गई थीं। अस्पताल के मेडिकल अधीक्षक डॉ. एसएल जेठानी ने कहा था कि उनका लीवर ठीक से काम नहीं कर रहा है।

आचार्य बाल कृष्ण
अगस्त 2019 में बाबा रामदेव के दाएं हाथ माने जाने वाले आचार्य बाल कृष्ण की भी जब तबीयत खराब हुई थी तो उन्हें ऋषिकेश के एम्स में भर्ती कराया गया था और एलोपैथी उपचार किया गया था।

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