महाराष्ट्र में रेमेडिसविर की क्यों हुई कमी! जानने के लिए पढ़ें ये खबर

महाराष्ट्र में कोरोना रोगियों के उपचार के लिए आवश्यक रेमेडिसविर इंजेक्शन की भारी कमी है।

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महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण बेलगाम होते जा रहा है। हालांकि इसे नियंत्रण करने के लिए हर तरह की कोशिश की जा रही है, लेकिन मरीजों के बढ़ते आंकड़ों के कारण इससे लड़ने के लिए साधन-सुविधाएं कम पड़ती दिख रही हैं। पूरे प्रदेश के साथ ही मुंबई में भी कोरोना रोगियों के उपचार के लिए आवश्यक रेमेडिसविर इंजेक्शन की भारी कमी है। इस कमी का एक एक बड़ा कारण है। करीब एक महीने पहले तक पूरे देश के साथ ही महाराष्ट्र में भी कोरोना संक्रमण काफी कम हो गया था। इस कारण रेमेडिसवीर इंजेक्शन के उत्पादन और आपूर्ति को रोक दिया था। लेकिन अब रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि के कारण, मांग और आपूर्ति के बीच खाई पैदा हो गई है। इस वजह से इसका संतुलन बिगड़ गया है।

महाराष्ट्र में इंजेक्शन की निर्धारित कीमत और इसे लेकर खाद्य एवं औषधि प्रशासन की कड़ाई के कारण भी राज्य में रेमेडिसवीर इंजेक्शन के उत्पादन में वृद्धि नहीं हो सकी। बता दें कि गुजरात सहित देश के कई अन्य राज्यों में महाराष्ट्र की तुलना में इसकी कीमत काफी अधिक है।

कमी के ये हैं कारण
वर्तमान में स्थिति विस्फोटक होने के कारण मुंबई सहित राज्य के अन्य शहरों में भी रेमेडिसवीर इंजेक्शन की भारी कमी देखी जा रही है। मरीजों के परिजन इंजेक्शन लेने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। इसकी कमी के पीछे पहला कारण यह है कि इस इंजेक्शन की समाप्ति की समय सीमा छह महीने की है। इसलिए कोरोना के रोगियों की संख्या में कमी के परिणामस्वरूप निर्माता कंपनियों ने इसका उत्पादन कम कर दिया। दूसरी बात यह है कि जिन कंपनियों के पास इन इंजेक्शंस के स्टॉक थे, उसे उन्होंने दूसरे राज्यों में सप्लाई कर दिया क्योंकि महाराष्ट्र में इन इंजेक्शनों की दरें कम थीं।

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राज्य सरकार ने घटा दी कीमत
जब कोरोना शुरू हुआ, तो इस इंजेक्शन की कीमत साढ़े चार हजार रुपये थी। यह इसकी एमआरपी थी। लेकिन राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे द्वारा इस कीमत पर रेमेडिसविर की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद यह 4,500 रुपये से घटकर 3,200 रुपये हो गई। उसके बाद कीमत घटकर 1,500 से 1,600 रुपये तक हो गई।

अचानक बढ़ गई मांग
जब मार्च में कोविड रोगियों की संख्या बढ़ने लगी, तो महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में इस इंजेक्शन की मांग बढ़ गई। उस समय, कंपनियों ने महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों की आपूर्ति पर भी ध्यान केंद्रित किया। ऐसा इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र में एक निश्चित राशि पर ही इसे बेचने की अनुमति थी। इस वजह से महाराष्ट्र में इस इंजेक्शन की कमी महसूस की जा रही है।

क्या कहते हैं जानकार?
इस बारे में पूछे जाने पर, महाराष्ट्र पंजीकृत फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश टंडले ने बताया कि रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि और आपूर्ति व मांग के बीच की खाई के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। इस इंजेक्शन का एक्सपायरी डेट छह महीने है। इसलिए कोरोना रोगियों की संख्या कम होने के कारण किसी ने भी इंजेक्शन का स्टॉक नहीं रखा। लेकिन अचानक इसकी मांग बढ़ने गई।

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