बूस्टर डोज स्कैंडल? जानिये, डब्ल्यूएचओ ने ऐसा क्यों कहा

गरीब देशों में कोरोना रोधी वैक्सीन की पहली डोज की अपेक्षा बूस्टर डोज की रफ्तार छह गुना ज्यादा है।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर के देशों में लगाई जा रही कोरोना रोधी बूस्टर डोज को स्कैंडल बताते हुए इस पर फौरन रोक लगाने का आह्वान किया है। संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधनम घेब्रेसस ने इसे लेकर चिंता जताई है और इसे गरीब देशों के साथ अन्यायय बताया है।

संगठन के महानिदेशक ने अमीर देशों में कोरोना की लगाई जा रही बूस्टर डोज पर नाराजगी और चिंता जताते हुए कहा है कि गरीब देशों को अभी तक पहली डोज में नहीं मिल पाई है और अमीर देशों में बूस्टर डोज शुरू कर दी गई है।

बूस्टर डोज स्कैमः डब्ल्यूएचओ
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि गरीब देशों में कोरोना रोधी वैक्सीन की पहली डोज की अपेक्षा बूस्टर डोज की रफ्तार छह गुना ज्यादा है। इसे अमानवीय करार देते हुए संगठन के महानिदेशक ने इसे स्कैंडल करार दिया है। उन्होंने अमीर देशो से इसे रोकने का अनुरोध किया है। डॉ. टेड्रोस के साथ ही संगठन के अन्य अधिकारियों ने भी अमीर देशों द्वारा करोना रोधी वैक्सीन के स्टॉक रखने के लिए उन देशों की आलोचना की है। उनका कहना है कि इस कारण गरीब देशों को कोरोना रोधी टीका नहीं मिल पा रहा है।

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इन देशों में युद्ध स्तर पर दी जा रही है बूस्टर डोज
बता दें कि इससे पहले भी अगस्त में भी डब्ल्यूएचओ ने बूस्टर डोज पर रोक लगाने की मांग की थी और इस साल के अंत तक उसने इस पर रोक जारी रखने की अपील की थी। लेकिन जर्मनी, इजरायल, कनाडा और अमेरिका ने उसकी सलाह को मानने से इनका कर दिया है। इन देशों में युद्ध स्तर पर कोरोना रोधी बूस्टर डोज दी जा रही है।

खास बात
डब्ल्यूएचओ ने 92 देशों में बूस्टर डोज लगाए जाने की पुष्टि की है।
इनमें एक भी गरीब देश शामिल नहीं।
प्रतिदिन दुनिया भर में वैक्सीन की 2.85 करोड़ डोज दी जा रही है।
गरीब देशो में प्रतिदिन मात्र 11 लाख डोज दी जा रही है।

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