राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने संघ के शताब्दी वर्ष के मद्देनजर कार्यकर्ताओं से शाखा के विस्तार पर विशेष ध्यान देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि गांव-गांव घूमें, एक-एक ग्रामीण से संपर्क करें और उन्हें संघ की विचारधारा के साथ ही उसकी स्थापना के उद्देश्य भी बताएं।
डॉ. भागवत ने पांच दिवसीय काशी प्रवास के चौथे दिन 26 मार्च को लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र में काशी प्रांत के प्रचारकों के साथ लंबी बैठक की। बैठक में प्रांत बौद्धिक शिक्षण प्रमुख, प्रांत व्यवस्था प्रमुख और अन्य पदाधिकारी शामिल रहे। इसके बाद उन्होंने प्रांत संघचालक, कार्यवाह, प्रचारक, सम्पर्क प्रमुख, सेवा प्रमुख, प्रचार प्रमुख और पदाधिकारी शामिल हुए।
स्वयंसेवकों से की यह अपील
उन्होंने कहा कि काशी प्रांत के लगभग 15 हजार गांवों में शताब्दी विस्तारक संपर्क अभियान चलाएं। शताब्दी विस्तारक गांव-गांव घूम कर एक-एक ग्रामीण से संपर्क करें और उन्हें संघ की विचारधारा बताएं। विस्तारकों का दायित्व होगा कि वो संघ की स्थापना के उद्देश्यों को जन-जन तक पहुंचाएं। शाखा विस्तार पर विशेष ध्यान दें और अनुशासन पर भी ध्यान देना है। स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण भी आवश्यक है। प्रशिक्षित स्वयंसेवक ही संघ के मानक को पूरा करते हुए शाखा विस्तार में अपना योगदान दे सकेगा। उन्होंने कहा कि समय-समय पर संघ की ओर से सामाजिक सरोकार से जुड़े अभियान भी चलाएं।
समाज में सामाजिक एकता, संगठन, समरसता की भावना बढ़ाना जरुरी
डॉ. भागवत ने पदाधिकारियों से कहा कि हमें समाज में सर्वसुलभ होने के साथ सबके सुख की कामना वाले भाव से सक्रिय रहना होगा, ताकि लोगों का संघ के प्रति जो विश्वास है, वह बना रहे। उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य समाज की आंतरिक शक्ति को बढ़ाना है। इससे समाज में सामाजिक एकता, संगठन, समरसता की भावना भी बढ़े। उन्होंने सभी प्रचारकों से कहा कि संघ का शताब्दी वर्ष नजदीक है। ऐसे में प्रचारक एवं अन्य पदाधिकारी अपने क्षेत्रों में प्रवास शुरू करें।
25 मार्च की बैठक में कही ये बात
सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि हर तीन साल में भौगोलिक और कार्य के आयामों में विस्तार को लेकर योजनाएं भी बनाएं और इसे सभी मंडलों तक पहुंचाने का कार्य भी करना है। इसके पहले 25 मार्च की शाम उन्होंने प्रचारकों की बैठक में संघ के वैचारिक परिवार, आनुषांगिक संगठनों को सक्रिय बनाने पर खासा जोर दिया। उन्होंने आगामी तीन वर्ष में धर्म जागरण, परिवार प्रबोधन, सामाजिक समरसता, सामाजिक सद्भाव, गोसंवर्धन, ग्राम विकास, जल एवं पर्यावरण संरक्षण की गतिविधियों की कार्ययोजना भी विस्तार से बताई।