ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की पूजा करने की मांग को लेकर ज्योतिष और द्वारिका शारदा पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का अनशन जारी है।
केदारघाट स्थित श्री विद्या मठ में अनशन के दूसरे दिन 5 जून को अविमुक्तेश्वरानंद ने मौन धारण कर लिया है। दो दिन से उन्होंने अन्न और जल ग्रहण नहीं किया है। अनशन के दौरान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने ज्ञानवापी में मिले शिवलिंगनुमा आकृति के तस्वीर की पूजा भी की।
मठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के समर्थन में शाम 4 बजे 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा। मठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के अनशन को देखते हुए पुलिस और खुफिया तंत्र सतर्क है। मठ और आसपास के इलाके में सुरक्षा का व्यापक प्रबंध किया गया है।
उधर, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने प्रभारी जिला जज की अदालत में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की तरफ से यूपी सरकार, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और अन्य को पक्षकार बनाते हुए ज्ञानवापी स्थित आदि विश्वेश्वर के पूजा-पाठ के लिए याचिका 4 जून को दाखिल कर दिया है। याचिका पर 6 जून को सुनवाई होगी।
उल्लेखनीय है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बीते 2 जून को प्रेस वार्ता कर कहा था कि ज्ञानवापी मस्जिद में हमारे आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग प्रकट हुआ है। इसलिए 4 जून को वह 71 बटुकों, संतों, पुजारियों और ब्रह्मचारी के साथ ज्ञानवापी मस्जिद में प्रकट हुए शिवलिंग का दर्शन-पूजन करने जाएंगे। 4 जून की सुबह स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती श्री विद्या मठ से बाहर पूजा पाठ के लिए निकले तो पुलिस अफसरों ने उन्हें रोक वापस मठ में भेज दिया। इससे नाराज होकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती मठ में ही अनशन पर बैठ गये है।
4 जून को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपराह्न में पुलिस फोर्स को छकाते हुए सोनारपुरा चौराहा पर पहुंच गए। लेकिन पुलिस अफसरों ने उन्हें वापस श्रीविद्या मठ भेज दिया। अफसरों ने न्यायालय के निर्देश का हवाला देकर कहा कि ज्ञानवापी जाने का विचार छोड़ प्रशासन का सहयोग करें।
अफसरों के अनुसार स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ज्ञानवापी में दर्शन-पूजन के लिए दो प्रार्थना पत्र दिए थे। दोनों का जवाब उन्हें देकर बताया गया कि ज्ञानवापी में पूजा-पाठ की अनुमति नहीं दी जा सकती है। परिसर में जहां वह पूजा-पाठ करना चाहते हैं, वह स्थान न्यायालय के आदेश से सील है। ऐसे में कोई भी कानून व्यवस्था को प्रभावित करने का प्रयास करेगा, पुलिस उसके खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई करेगी।
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