ट्वीटर पर एक छोटा सा संदेश प्रसारित हुआ। जिसका शीर्षक था ‘मेरी बेटी, मेरा गर्व’! इसका कारण बहुत ही मार्मिक है कि कोरोना काल में एक केंद्रीय मंत्री की बेटी कोरोना योद्धा के रूप में इन्सानियत को बचाने का कार्य करेगी। इसमें मंत्री ने बेटी की पीपीई किट पहने ही फोटो भी साझा की है।
इस बेटी के पिता के विषय में बता दें कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। गुजरात से हैं और प्रभावशाली नेताओं में से एक हैं। उनकी बेटी की भला कौन कोरोना काल में ड्यूटी लगा सकता है। हम बात कर रहे हैं। केंद्रीय राज्य मंत्री मनसुख मांडविया की। उनकी पुत्री दिशा अब इन्टर्न के रूप में कोरोना संक्रमितों की सेवा करेंगी।
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दिशा की एक फोटो मनसुख मांडविया ने साझा की है। जिसमें वह पीपीई किट पहने दिख रही हैं। इस पर मंत्री जी की भावनाएं उद्वेलित हो गईं और उन्होंने ट्वीटर पर उसे प्रकट कर दिया।
वे लिखते हैं,
मेरी बेटी, मेरा गर्व!
दिशा, मैंने तुम्हें इस रूप में देखने के लिए कितनी लंबी प्रतीक्षा की है। मैं गौरवान्वित हूं कि, तुम इन्टर्न के रूप में अपनी जिम्मेदारी का वहन इस कठिन काल में पूरा कर रही हो। राष्ट्र को आज तुम्हारे सेवाओं की आवश्यकता है, मुझे विश्वास है तुम उसमें खरी साबित होगी।
मेरी योद्धा को अधिक शक्ति प्रदान मिले!
My Daughter, My Pride!
Disha, I have waited so long to see you in this role. I am filled with pride that you are rendering your duty as an Intern in this critical time. The nation needs your service and I'm sure you will prove yourself.
More power to you my warrior! pic.twitter.com/Kjm4MtKyaT
— Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) April 26, 2021
मोदी की गुड बुक्स में मांडविया
मनसुख मांडविया के विषय में कहा जाता है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गुड बुक्स में हैं। इसीलिए मोदी के दोनों ही कार्यकाल में उन्हें मंत्री बनाया गया है। गुजरात के पाटीदार समाज के अग्रणी नेता के रूप में मनसुख भाई के पिछले वर्ष मुख्यमंत्री बनने की भी चर्चा शुरू हो गई थी।
मांडविया साइकिल से कार्यालय जानेवाले मंत्रियों के रूप में पहचाने जाते हैं। यूनिसेफ द्वारा माहिलाओं के मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता मुहिम में योगदान के लिए मनसुख भाई को सम्मानित किया जा चुका है। वे पदयात्रा के लिए भी जाने जाते हैं। वे 28 वर्ष की आयु में पहले 2002 में विधायक बने थे। 2012 में पहली बार राज्यसभा के पहुंचे और उसके बाद 2018 में दूसरी बार। जबकि मोदी सरकार में 2016 में राज्य मंत्री के रूप में सम्मिलित किया गया। इसे मोदी 2 में भी बरकरार रखा गया।
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सेवा के यथार्थ रूप ऐसे भी हैं
- ये भी हैं बेटियां
भुज के सुखपर गांव के स्मशान में कोविड 19 संक्रमितों के शव आने पर वहां काम करनेवालों ने काम बंद कर दिया। इसके बाद सुखपर गांव में कार्यरत राष्ट्र सेविका समिति की 15 बहनों ने इस कार्य को संभाल लिया। वे आज सबेरे 8 बजे से रात 8 बजे तक लोगों की अंतिम क्रियाओं में अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। वे स्मशान की सफाई, लकड़ी की व्यवस्था और दाह संस्कार में परिवार की सहायता करती हैं। इस स्मशान में 15 बहनों और रामजी बाई वेलाणी परिवार की सेवा देखकर आसपास के गांवों के 50 लोग सहायता में उतर गए हैं।
- बेटे का दुख नहीं सेवा का सुख अपनाया
अहमदाबाद के रसिक और कल्पना मेहता कोविड 19 की पिछली लहर में अपने इकलौते बेटे को खो चुके हैं। बेटे के लिए इस दंपति ने 15 लाख रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट बैंक में रखी थी। इस कोविड 19 लहर में दंपति ने उस राशि को कोविड संक्रमितों की सेवा में लगा दिया। मेहता दंपति इन पैसों से विलगीकरण में रह रहे 200 कोविड 19 संक्रमितों को किट उपलब्ध करवा चुका है, 350 लोगों का टीकाकरण करवा चुका है। यह नहीं इन्होंने अपनी गाड़ी को कोविड 19 एंबुलेंस में परिवर्तित कर दिया है।
- मूर्ति नहीं कीर्ति देखो
रांची का एक रिक्शावाला भी इन दिनों कोविड 19 संक्रमितों की बहुत सहायता कर रहा है। रवि अग्रवाल नामक युवक ने अपना नंबर सोशियल मीडिया पर वायरल कर दिया है। वह कोविड 19 संक्रमितों को निशुल्क अस्पताल ले जाता और ले आता है। रवि अपनी सुरक्षा के लिए हमेशा मास्क लगाए रखता है।