नाम और चुनाव चिन्ह की लड़ाई: उद्धव गुट को राहत नहीं, तत्काल सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने कही यह बात

चुनाव आयोग ने 17 फरवरी को एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना करार देते हुए धनुष-बाण चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया था। आयोग ने पाया था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है।

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उद्धव ठाकरे गुट ने निर्वाचन आयोग के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी गई है। उद्धव गुट ने तत्काल सुनवाई की गुजारिश की। उद्धव गुट की इस मांग पर मुख्य न्यायधीश ने याचिका पर तल्काल सुनवाई से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका को तत्काल मेंशन की एक प्रक्रिया है, जिसका पालन होना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि तत्काल मामले के मेंशन का एक नियम बनाया गया है। उसे सबको मानना पड़ेगा। इसलिए उन्हें कल आना चाहिए। याचिका में शिंदे गुट को पार्टी का नाम और धनुष-बाण चुनाव चिह्न आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है।

चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को बताया असली शिवसेना
चुनाव आयोग ने 17 फरवरी को एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना करार देते हुए धनुष-बाण चुनाव चिह्न आवंटित कर दिया था। आयोग ने पाया था कि शिवसेना का मौजूदा संविधान अलोकतांत्रिक है। निर्वाचन आयोग ने कहा था कि शिवसेना के मूल संविधान में अलोकतांत्रिक तरीकों को गुपचुप तरीके से वापस लाया गया, जिससे पार्टी निजी जागीर के समान हो गई।

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इन तरीकों को निर्वाचन आयोग 1999 में नामंजूर कर चुका था। पार्टी की ऐसी संरचना भरोसा जगाने में नाकाम रहती है। चुनाव आयोग के इस आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। धनुष-बाण चुनाव चिह्न बालासाहेब ठाकरे के समय से शिवसेना का चुनाव चिह्न रहा है।

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