दिल्ली में पहली बार लोकल पुलिस के बाद ट्रैफिक पुलिस का थाना खोलने की तैयारी हो रही है। इसके लिए पुलिस कमिश्नर ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों से सुझाव मांगा है। अधिकारियों से सकारात्मक सुझाव मिलने पर प्रत्येक जिले में ट्रैफिक का एक थाना खोला जा सकता है। इस थाने में तैनात ट्रैफिक पुलिस के जवान केवल सड़क हादसों के मामलों की जांच करेंगे। अन्य अपराधों की जांच का अधिकार उनके पास नहीं होगा।
दिल्ली में सड़क हादसों की प्राथमिक जांच लोकल थाने की पुलिस करती है। इसके बाद उसे जिले की एमएसीटी सेल को सौंप दिया जाता है। पुलिस इस मामले में छानबीन करने के साथ न्यायालय के समक्ष आरोप पत्र दाखिल करती है। हाल ही में पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने ट्रैफिक के जिलों की संख्या 9 से बढ़ाकर 15 कर दिया है। इसके अलावा ट्रैफिक सर्किल की संख्या में भी उन्होंने इजाफा किया है। उनका मानना है कि सड़क पर हमेशा ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं। ऐसे में सड़क हादसे के स्पॉट पर पहुंचना उनके लिए सबसे ज्यादा सुविधाजनक होता है, लेकिन अभी उनके पास जांच करने का अधिकार नहीं है।
पुलिस आयुक्त ने मांगा सुझाव
पुलिस कमिश्नर ने सभी जिलों के डीसीपी, जॉइंट कमिश्नर और स्पेशल कमिश्नर से इस विषय पर राय मांगी है। उनकी राय के आधार पर इस दिशा में आगे काम किया जाएगा। यह माना जा रहा है कि अधिकांश अधिकारी इसके समर्थन में हैं। पुलिस कमिश्नर आगामी 15 अगस्त से पहले इस पर बड़ा फैसला ले सकते हैं। पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना ने इससे पहले हर जिले में साइबर थाने खोले हैं।
होंगे दो लाभ
दिल्ली पुलिस के पूर्व एसीपी वेदभूषण ने बताया कि पुलिस कमिश्नर की इस पहल से दो तरह के लाभ होंगे। पहला ट्रैफिक पुलिस ज्यादा बेहतर तरीके से मामले की जांच कर सकेगी, क्योंकि वह खुद सड़क पर रहते हैं और मौके पर तुरंत पहुंचेंगे। दूसरी तरफ थाने का वर्क लोड भी कम होगा। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों में पहले से ट्रैफिक पुलिस के थाने अलग खुले हुए हैं, जो बेहतर काम कर रहे हैं। दिल्ली में अगर इस तरह से ट्रैफिक थाना खुलता है तो उसे कानूनी रूप से जांच की शक्ति दी जाएगी। इसके लिए अलग कोर्ट भी सरकार की तरफ से बनेगी। उनका मानना है कि इससे काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेंगे।