श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल बनाए जाने का मामलाः केंद्र ने सफाई में कही ये बात

झारखंड सरकार की तत्कालीन भाजपा सरकार ने फरवरी 2019 में देवघर स्थित बैजनाथ धाम और दुमका में बासुकीनाथ धाम जैसे मंदिरों के 77 पारसनाथ क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में अधिसूचित किया था।

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झारखंड में जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में नामित करने की योजना के खिलाफ जैन धर्म के लोगों के गुस्से को देखते हुए केंद्र सरकार भी अब एक्शन में आ गई है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा है कि  केंद्र सरकार का जैन धर्म के तीर्थ स्थल को बदलने का कोई विचार नहीं है। किसी भी कीमत पर उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई जाएगी।
एक संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर उन्होंने 22 दिसंबर को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को चिट्ठी लिखी थी। उसमें स्पष्ट कहा गया था कि तीर्थ स्थल को बदलने का कोई विचार नहीं है।
श्री सम्मेद शिखरजी और जैन धर्म का संबंध
झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ की पहाड़ी पर श्री सम्मेद शिखरजी स्थित है। रांची से लगभग 160 किलोमीटर दूर यह झारखंड की सबसे ऊंची चोटी भी है। जैन धर्म के दोनों संप्रदायों श्वेतांबर और दिगंबर के लिए यह सबसे बड़ा तीर्थ स्थल है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर 24 जैन तीर्थकंर ने ध्यान करने के बाद मोक्ष प्राप्त किया था।
क्या है विवाद?
झारखंड सरकार की तत्कालीन भाजपा सरकार ने फरवरी 2019 में देवघर स्थित बैजनाथ धाम और दुमका में बासुकीनाथ धाम जैसे मंदिरों के 77 पारसनाथ क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में अधिसूचित किया था। इसी वर्ष अगस्त महीने में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पारसनाथ क्षेत्र को एक पर्यावरण क्षेत्र घोषित किया। जैन स्थल को पर्यटन स्थल के लिए अधिसूचित करने पर जैन समाज में असंतोष है। जैन तीर्थ स्थल को लेकर झारखंड सरकार के इस फैसले के खिलाफ जैन धर्म के लोग देशभर में जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे हैं। जैन समाज के अनुसार उनका यह आंदोलन धार्मिक स्थल की पवित्रता को बरकरार रखने को लेकर है।
केंद्र ने इको सेंसिटिव जोन बनाया
केंद्र सरकार के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 2 अगस्त 2019 को झारखंड के मधुबन और पारसनाथ क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन के रूप में अधिसूचित कर दिया इससे इको सेंसेटिव जोन में शर्तों के साथ इको टूरिज्म को भी मंजूरी मिल गई। झारखंड की हेमंत सरकार ने 28 दिसंबर 2021 को पारसनाथ मंदिर क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन स्थल अधिसूचित किया। जैन समाज धार्मिक के साथ पर्यटन स्थल अधिसूचित करने का विरोध कर रहा है और पर्यटन शब्द हटाने की मांग कर रहा है।
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