सूई पर तेल… अहमदाबाद में फिसले लोग!

केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खाद्य तेलों तथा तिलहनों के भंडारण पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया।

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खाद्य तेल की कीमतों को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस निर्णय के तहत खाद्य तेल के भंडारण पर 31 मार्च तक रोक लगा दिया गया है। व्यापारी अब 31 मार्च 2022 तक खाद्य तेल और तिलहन का भंडारण एक निश्चित सीमा से अधिक नहीं कर सकेंगे। इससे आयात और निर्यात पर भी असर पड़ेगा। उम्मीद है कि इससे आम उपभोक्ता के लिए खाद्य तेल सस्ता हो जाएगा।

टीका लगवाओ, खाद्यतेल का पाउच पाओ
इस बीच कोरोना रोधी वैक्सीनेशन को बढ़ावा देने के लिए टीका लगवाने वालों को गुजरात के अहमदाबाद महानगरपालिका की ओर से खाद्य तेल का पाउच वितरित किए जा रहे हैं। मिली जानकारी के अनुसार तेल पाने के लालच में बड़ी संख्या में केंद्रों पर लोग टीका लगवाने आ रहे हैं।

आसमान पर खाद्य तेल की कीमत
पिछले एक साल में खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 46.15 प्रतिशत की तेजी आई है। नतीजतन, रसोई घर का वित्तीय गणित बिगड़ रहा है। सरकार ने इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कारकों और तेल की घरेलू आपूर्ति में कमी को जिम्मेदार ठहराया है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा, ”सरकार के इस फैसले से अब घरेलू बाजार में खाद्य तेल की कीमत में कमी आएगी। इससे देशभर के उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी है।”

खाद्य तेलों और तिलहनों के भंडारण पर प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी खाद्य तेलों तथा तिलहनों के भंडारण पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया। संबंधित राज्यों द्वारा खाद्य तेल के उपयोग और उपलब्ध स्टॉक को देखते हुए इसके भंडारण पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया गया है। हालांकि, कुछ आयातकों और निर्यातकों को इन प्रतिबंधों से छूट दी गई है। इनमें रिफाइनरी, मिल निर्यातक-आयातक, थोक व्यापारी, खुदरा विक्रेता और डीलर शामिल हैं। सभी आंकड़े केंद्र सरकार की वेबसाइट पर अपडेट किए जाएंगे

राज्य सरकारों को निर्देश
यदि स्टॉक सीमा से अधिक है, तो खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग को अपनी वेबसाइट पर जानकारी की घोषणा करने के लिए कहा जाता है। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि वे सभी आंकड़े केंद्र सरकार की वेबसाइट पर अपडेट किए जाएं। सरकार ने खाद्य तेल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए 8 अक्टूबर से सरसों के तेल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।

सोयाबीन तेल की कीमत में कितनी वृद्धि ?
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के मुताबिक एक साल पहले सोयाबीन तेल की कीमत 106 रुपए प्रति किलो थी। 9 अक्टूबर को भी यही रेट 154.95 रुपए प्रति किलो हो गया। सोयाबीन तेल की कीमतें एक साल में 46.15 फीसदी बढ़ीं।

सरसों और वनस्पति तेल की कीमत कितनी बढ़ी?
सरसों तेल की कीमतों में 43 प्रतिशत की तेजी आई। सरसों तेल की कीमत 129.19 रुपए से बढ़कर 184.43 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई। वनस्पति तेल की कीमतों में भी 43 फीसदी की तेजी आई। इसकी कीमत 95.5 रुपए से बढ़कर 136.74 रुपए प्रति किलो हो गई है।

सूरजमुखी और पाम आयल की कीमत में कितनी वृद्धि हुई?
सूरजमुखी तेल की कीमतों में 38.48 प्रतिशत की तेजी आई। सूरजमुखी तेल जो पिछले साल 122.82 रुपए प्रति किलो था, इस साल 170.09 रुपए प्रति किलो हो गया। पाम तेल की कीमतों में भी 38 प्रतिशत की तेजी आई। पाम तेल की कीमत 95.68 रुपए से बढ़कर 132.06 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है।

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