देश के अतिप्रतिष्ठित स्मारकों में से एक स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष पद के चुनाव में बड़ा मोड़ आ गया है। सदस्यों के समक्ष इस बार कर्तव्यनिष्ठ सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी और कांग्रेसनिष्ठ के बीच से एक को चुनना है। इस बीच स्मारक के सदस्यों ने कांग्रेसी घुसपैठ को असफल करने का स्वर उठाया है।
दो उम्मीदवार हैं मैदान में
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के अध्यक्ष पद के लिए दो उम्मीदवार मैदान में हैं। जिसके लिए कर्तव्यदक्ष पूर्व पुलिस महानिदेशक और आईपीएस अधिकारी प्रवीण दीक्षित हैं, जिन्हें वीर सावरकर स्मारक की वर्तमान समिति और बहुसंख्य सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, तो उनके विपक्ष में हैं कांग्रेसनिष्ठ और लोकमान्य तिलक के प्रपौत्र दीपक तिलक। इन दोनों ही उम्मीदवारों को लेकर जो चर्चा सदस्यों (नाम न छापने की शर्त पर) से की गई, उससे एक बात स्पष्ट होती है कि, वीर सावरकर के अवमान की भाषा करनेवाली कांग्रेस की घुसपैठ उन्हें एक सिरे से अस्वीकार है।
स्मारक की प्रगति को नई ऊंचाई पर ले जाऊंगा
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के विकास और वीर सावरकर के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए जो कार्य हो रहा है, उसमें गति प्रदान करना मेरी पहली प्राथमिकता है। इसके साथ ही स्मारक के सदस्यों द्वारा देश में और मार्सेलिस समेत विदेश के विभिन्न स्थानों पर स्मारक की शाखाओं के विकास का जो कार्य किया जा रहा है, उनके साथ मिलकर मैं उसे पूर्ण करूं यही मेरा प्रयत्न रहेगा है। मैं स्मारक की प्रगति, वीर सावरकर की वैचारिक क्रांति के प्रसार के लिए प्रतिबद्धता से कार्य करूंगा। मेरा सभी सदस्यों से निवेदन है कि, वे प्रगति, विकास और विजन को समर्थन देकर मुझे विजयी बनाएं।
प्रवीण दीक्षित – पूर्व पुलिस महानिदेशक
उम्मीदवारी पर अनुत्तरित प्रचार पुरुष
अपनी उम्मीदवारी का डंका मीडिया में पीटनेवाले कांग्रेसनिष्ठ और इन चुनावों में प्रचार पुरुष की भांति कार्य कर रहे, दीपक तिलक उन मीडिया समूहों के प्रश्नों का उत्तर नहीं देते जो उनके एजेंडे पर बात करना चाहते हैं। हिंदुस्थान पोस्ट ने जब दीपक तिलक की उम्मीदवारी के उद्देश्य और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक में उनके पूर्व के कार्यकाल में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्रश्न पूछा तो उन्होंने बात करने से सीधा नकार दिया।
मैं किसी भी मीडिया से इस समय बात नहीं करना चाहता हूं। मैं ऐसे किसी भी प्रश्न का उत्तर देने के लिए बाध्य भी नहीं हूं।
दीपक तिलक – उम्मीदवार
तिलक किसके सिर?
वर्तमान में कांग्रेस द्वारा स्वातंत्र्यवीर सावरकर के अपमान का क्रम लगातार चल रहा है। इसका मुंहतोड़ उत्तर भले ही स्वातंत्र्यवीर सावरकर स्मारक दे रहा हो, लेकिन मुद्दा विहीन कांग्रेसी नेतृत्व के पास हिंदू और वीर सावरकर के अलावा मानो कुछ है ही नहीं। कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा राहुल गांधी को स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर अपमानजनक टिप्पणीवाला ट्वीट करने के लिए कानूनी कार्रवाई न्यायालयीन दायरे में है, इस परिस्थिति में अब स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के लिए कांग्रेसनिष्ठ दीपक तिलक की उम्मीदवारी, इस विरोध को दबाने के लिए करवाई है क्या, ऐसा प्रश्न स्मारक के वीर सावरकर निष्ठ सदस्यों के बीच चर्चा मे है। जिसे अपने मतों के माध्यम से पराजित करने का विश्वास वीर सावरकर स्मारक के सदस्यों ने व्यक्त किया है। इसके कारण जीत का तिलक विकासोन्मुखी, वीर सावरकर के निष्ठावान प्रवीण दीक्षित के माथे लगने का मार्ग प्रशस्त माना जा रहा है।