अंदमान में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के राष्ट्र कार्यों का चिंतन स्मरण

स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने अपने जीवन का ग्यारह वर्ष अंदमान कारागृह में व्यतीत किया। अति यातनादायी कालापानी की पचास वर्षों की सजा काटने वाले क्रांतिकारियों में वे एकमात्र थे। उनके 57वें आत्मार्पण दिन पर अंदमान में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।

स्वातंत्र्यवीर सावरकर के आत्मार्पण दिवस पर तीन दिवसीय कार्यत्रम का आयोजन अंदमान में आयोजित किया गया था। यह कार्यक्रम इंडिय काऊंसिल ऑफ हिस्टॉरिकल रिसर्च और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ, जिसमें डॉ.उमेश कदम की महत्वपूर्ण भूमिका थी। कार्यक्रम में देश भर से आए मान्यवरों के अलावा स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर और कार्यवाह राजेंद्र वराडकर प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

अंदमान के डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में स्वातंत्र्यवीर सावरकर के आत्मार्पण दिन 26 फरवरी से ‘स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस: फ्रीडम स्ट्रगल एंड भारतीय नेशनलिज्म’ का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री डॉ.राजकुमार रंजन सिंह के हाथो संपन्न हुआ। अपने संबोधन में मंत्री ने कहा कि, आजादी का अमृत महोत्सव के पीछे का उद्देश्य है कि, जिन्होंने मातृभूमि के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया उन व्यक्तियों, संस्थाओं और लेखनों को सामने लाया जाए। स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर और नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अपने-अपने तरीके से भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत माता के दोनों पुत्र स्वातंत्र्यवीर सावरकर और नेताजी सुभाषचंद्र बोस का अंदमान द्वीप समूह से विशेष नाता रहा है। वीर सावरकर ने मातृभूमि के लिए अंदमान के सेल्यूलर जेल में यातनाएं झेली थीं। जबकि नेताजी सुभाषचंद्र बोस अंदमान द्वीप समूह को ब्रिटिश और जापानी सेना से मुक्त कराने में सफल रहे और 30 दिसंबर, 1943 को उन्होंने इन द्वीप समूहों पर झंडा फहराने पर सफल रहे।

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क्रांतिकारियों के इतिहास से लें प्रेरणा
स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने वीर सावरकर द्वारा गठित अभिनव भारत संगठन की स्थापना के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इसे यंग इंडिया सोसायटी भी कहा जाता था। जिसे 1904 में एक गुप्त संगठन के रूप में खड़ा किया गया था। इस कार्यक्रम में उपस्थित छात्र, युवाओं और जनसामान्य से उन्होंने क्रांतिकारियों के इतिहास की जानकारी प्राप्त कर उससे राष्ट्र अभिमान के लिए प्रेरणा लेने का आग्रह किया।

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