हाथियों की सुरक्षा को लेकर सर्वोच्च सख्ती, केंद्र से ‘इतने’ दिनों में मांगी रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट में वन और पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि देश भर में गज संरक्षण क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर 77705.42 किलोमीटर तक किया गया है।

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सर्वोच्च न्यायालय ने देश भर में हाथियों की सुरक्षा को लेकर सख्ती बरती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से हाथियों के कॉरिडोर में सुरक्षा को लेकर चार हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सुप्रीम कोर्ट में वन और पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि देश भर में गज संरक्षण क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर 77705.42 किलोमीटर तक किया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि यूपी में तराई के उन इलाकों को भी गज संरक्षण क्षेत्र में आरक्षित किया गया, जहां हाथियों की आवाजाही है। मंत्रालय ने कोर्ट को बताया था कि गज क्षेत्र में देश के 88 हाथी कॉरिडोर के 52 प्रतिशत क्षेत्र को मान्यता दी गई है।

 प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने दायर की है याचिका
याचिका प्रेरणा सिंह बिंद्रा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि हाथियों की अप्राकृतिक मौत हो रही है। इनमें से ज्यादातर की मौत बिजली का करंट लगने से हो रही है। याचिका में हाल ही में लोकसभा में वन और पर्यावरण मंत्रालय के उस डाटा का जिक्र किया गया है जिसमें कहा गया है कि 2016-17 में बिजली के करंट से हाथियों से मौत की संख्या 56 थी जो 2018-19 में बढ़कर 81 तक पहुंच गई।

याचिका में है क्या?
याचिका में एक आरटीआई आवेदन के जवाब का हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि 2009 से 2020 तक कुल 741 हाथियों की मौत बिजली की करंट लगने से हो गई थी। याचिका में कहा गया है कि हाथियों के बिजली के करंट से मरने की समस्या को वन और पर्यावरण मंत्रालय भी गंभीर मानता है।

2010 के गजा रिपोर्ट की अनुशंसाओं के अनुपालन की मांग
याचिका में 2010 के गजा रिपोर्ट की अनुशंसाओं के अनुपालन की मांग की गई है। इसके अलावा 18 जुलाई 2019 को हुई नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ के स्टैंडिंग कमेटी की 54वें बैठक में टास्क फोर्स की अनुशंसाओं को भी लागू करने की मांग की गई है। याचिका में मांग की गई है कि वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, नेशनल पार्कों, कम्युनिटी रिजर्व , एलिफैंट रिजर्व इत्यादि में हाई वोल्टेज पावर ट्रांसमिशन के तारों को तत्काल रूप से हटाने का आदेश दिया जाए। इसके लिए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

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