KashmiriPanditMassacre टीका लाल टपलू की हत्या वाली याचिका नहीं सुनेगा सर्वोच्च न्यायालय, जानिये टपलू परिवार के सामने अब क्या है न्याय पाने का मार्ग

1990 के दशक में जम्मू कश्मीर में हिंदुओं को विरुद्ध बड़ी आतंकी गतिविधियों चलाई गई थीं। कश्मीर की आजादी के नाम पर पाकिस्तान ने घाटी में आतंकवाद को प्रायोजित किया और स्थानीय कश्मीरी मुसलमान जिहादी बन गए।

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14 सितंबर 1989 में आतंकवादियों ने कश्मीरी पंडित टीका लाल टपलू के घर में घुसकर हत्या कर दी थी। इसके बाद टपलू के परिजनों को अपने ही देश में प्रवासी के रूप में जीवन यापन करना पड़ा। इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका पंडित टीका लाल टपलू के पुत्र आशुतोष टपलू ने दायर की थी। जिस पर सुनवाई से सर्वोच्च न्यायालय ने इन्कार कर दिया है। इसके बाद अब प्रश्न उठ खड़ा हुआ है कि, टपलू परिवार को कहां न्याय मिलेगा।

आशुतोष टपलू ने अपनी याचिका में परिवार की सुरक्षा, अपनी चल अचल संपत्तियों की वापसी, पुनर्वास और हत्या में सम्मिलित लोगों की जांच और अभियोग चलाने की मांग की थी। इस याचिका से संबंधित सुनवाई में यह भी कहा गया था कि, 1984 के सिख विरोधी दंगों के प्रकरण में तीन दशक पश्चात विशेष जांच दल का गठन किया गया था, इसके अलावा भोपाल गैस त्रासदी प्रकरण में ऐसा आदेश दिया जा चुका है। परंतु, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया।

इसलिए किया इन्कार
सर्वोच्च न्यायालय में ‘वी द सिटिजन’ नामक एक गैर सरकारी संगठन ने जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें मांग की गई थी कि, 1990 में इस्लामी जेहादियों द्वारा जम्मू कश्मीर में पंडितों की जो हत्याएं की गई थीं, उन प्रकरणों की जांच कराई जाए, इसके अलावा पीड़ितों के पुनर्वास की मांग भी रखी गई थी। परंतु, इस याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई से इन्कार कर दिया।

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इसी प्रकरण को लेकर आशुतोष टपलू की याचिका पर भी सुनवाई से सर्वोच्च न्यायालय ने इन्कार कर दिया है। यह प्रकरण न्यायमूर्ति बी.आर गवई और न्यायमूर्ति सी.टी रविकुमार की खंडपीठ में सुनवाई के लिए गया था। जिस पर न्यायमूर्ति बी.आर गवई ने कहा कि, हम इस प्रकरण में हस्तक्षेप के इच्छुक नहीं हैं। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को वैकल्पिक उपायों का लाभ उठाने का आवसर दिया है।

कौन थे टीका लाल टपलू?
टीका लाल टपलू राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संलग्न थे और 1971 से जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य करते थे। सामाजिक कार्यों के कारण वे चर्चित हिंदू चेहरा थे। घाटी में जब जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) ने कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए अलगाववादी आतंक शुरू किया तो उसकी पहली बलि बने टीका लाल टपलू। आतंकियों ने टपलू परिवार के श्रीनगर स्थित चिंकारा मोहल्ला के घर में घुसकर गोलियों से भून दिया। उस समय टीका लाल टपलू जम्मू कश्मीर भारतीय जनता पार्टी के उपाध्यक्ष थे।

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