सर्वोच्च न्यायालय ने हिरासत में बंद कैदियों को वोट देने का अधिकार देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई 29 दिसंबर को होगी। याचिकाकर्ता ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62(5) की वैधता को चुनौती दी है, जो हिरासत में बंद कैदियों को वोट देने से रोकता है। याचिका में कहा गया है कि कैदियों को मताधिकार से वंचित करना गैरबराबरी है और ये संविधान की मूल भावना का उल्लघंन करता है।
यह भी पढ़ें – कैदियों को मतदान का अधिकार देने की मांग, केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
याचिका में मांग
याचिका में कहा गया है कि कैदियों को मताधिकार से रोकना संवैधानिक अधिकारों का हनन है। उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में कैदियों के वोट देने से वंचित होने की आशंकाएं है। इस पर कोर्ट ने जेल प्रशासन से ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वे कैदियों को वोट देने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराएं।