सर्वोच्च न्यायालय ने संशोधित कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 43 किसान यूनियनों को नोटिस जारी किया है। न्यायालय उस आवेदन पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें इन किसान यूनियनों को पक्षकार बनाने की मांग की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है, जिसमें दिल्ली नोएडा की सड़क से किसान यूनियनों द्वारा लगाए गए जाम को हटाने की मांग की गई है।
सर्वोच्च न्यायालय तीन कृषि कानूनों का विरोध करनेवाली किसान महापंचायत की उस याचिका पर भी सुनवाई कर रहा है, जिसमें दिल्ली के जंतर मंतर पर सत्याग्रह की अनुमति मांगी गई है। इस दौरान सोमवार को न्यायालय ने कहा कि, तीनों कृषि कानून पर स्थगन आदेश दिया गया है, यह कानून लागू नहीं है तो आप लोग (किसान यूनियन) प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं?
ये भी पढ़ें – लखीमपुर खीरी कांड में खालिस्तानी हाथ? वायरल वीडियो में दिखे सबूत
लखीमपुर खीरी घटना का किया उल्लेख
सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान लखीमपुर खीरी की घटना का उल्लेख भी लिया। न्यायाधीशों ने कहा कि, जब ऐसी दुर्दैवी घटना होती है तो कोई भी जिम्मेदारी नहीं लेता।
एटॉर्नी जनरल ने कहा अब और आंदोलन नहीं
एटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि, लखीमपुर जैसी घटनाओं को टालने के लिए अब और आंदोलन नहीं होना चाहिए। एक बार प्रकरण सर्वोच्च न्यायालय में है तो किसी को भी उसी मुद्दे पर सड़कों पर नहीं उतरना चाहिए।
किसान महापंचायत ने पल्ला झाड़ा
दिल्ली के जंतर मंतर में प्रदर्शन करने की अनुमति मांगनेवाली किसान पंचायत ने सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार की सुनवाई के दौरान प्रतिज्ञा पत्र दायर किया। इसमें उसने दिल्ली की सीमाओं पर सड़क जाम करने में अपनी भूमिका से इन्कार किया है। किसान महापंचायत ने कहा है कि वह न तो प्रदर्शनारियों में शामिल है और न ही याचिकाकर्ता किसान यूनियन का कोई सदस्य ऐसी गतिविधि में शामिल है जिससे सड़क जाम हो।