महाराष्ट्र सरकार अभी तक एसटी महामंडल की आर्थिक तंगी का स्थाई समाधान नहीं निकाल पाई है। इसलिए महामंडल के कर्मचारियों को हर माह वेतन के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। 15 से 20 दिन की देरी से वेतन मिलने के कारण कर्मचारियों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से परेशान एसटी कर्मचारियों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
23 कर्मचारियों ने मौत को गले लगाया
उमरगा डिपो के वाहक( कंडक्टर) दयानंद गवली ने 12 अक्टूबर को अनियमित वेतन के कारण आत्महत्या कर ली। उसका शव तुलजापुर पुराने बस स्टैंड के पास मिला। पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा महामंडल कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते और आर्थिक संकट में फंस गया। मौजूदा स्थिति यह है कि जब राज्य सरकार भुगतान करेगी तो कर्मचारियों को वेतन दिया जाएगा। इस कारण कर्मचारियों की आर्थिक परेशानी बढ़ गई है। नतीजतन, पहली आत्महत्या 7 मार्च, 2020 को हुई थी। उसके बाद से आत्महत्या का दौर जारी है। यह 19 महीने में यह 23वीं आत्महत्या है।
खुशी से कोई आत्महत्या नहीं करताः बरगे
महाराष्ट्र एसटी कर्मचारी कांग्रेस के महासचिव श्रीरंग बरगे का कहना है कि खुशी से कोई आत्महत्या नहीं करता। वेतन कम होने से कर्मचारियों को परेशानी होती है। पारिवारिक खर्च पूरा नहीं पड़ता है। स्थायी समाधान के लिए अब एसटी महामंडल को कदम उठाना चाहिए। तभी यह समस्या हमेशा के लिए हल की जा सकती है।
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सरकार को कई बार दी गई है जानकारी
बरगे ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इससे पहले भी महामंडल के कर्मचारी संघों ने राज्य सरकार को इस परेशानी के बारे में जानकारी दी थी। अनियमित वेतन के कारण कर्मचारी और उनके परिवार मानसिक तनाव में हैं। इसलिए मुख्यमंत्री स्वयं इस मुद्दे पर ध्यान दें और इन कर्मचारियों को राहत प्रदान करें।
आत्महत्या सत्र जारी
बता दें कि आर्थिक परेशानी के कारण एसटी कर्मचारियों ने आत्महत्या जैसे कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। अहमदपुर, तेलहारा, शहाड, कंधार और सकरी जैसे कई स्थानों पर कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली है। पिछले साल की शुरुआत में जलगांव में मनोज चौधरी और रत्नागिरी में पांडुरंग गड्डे ने भी आत्महत्या कर ली थी। दुर्भाग्य से, आत्महत्या का सत्र अभी भी जारी है और सरकार ने अगर इनके वेतन को लेकर स्थाई व्यवस्था नहीं की तो यह सत्र आगे भी जारी रह सकता है।