जानिये स्वेज नहर का महत्व! क्यों थमा था मार्ग?

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स्वेज नहर 120 मील लंबा मानव निर्मित जलमार्ग है। जिसका निर्माण 1869 में किया गया था। वर्तमान में ये एक महत्वूर्ण जलमार्ग है। जिससे प्रतिदिन सैकड़ो जहाज चीन और यूरोप पहुंचते हैं।

यह नहर मिस्र (इजिप्ट) में स्थित है। यह लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है। इस जलमार्ग से गुजरनेवाले जहाजों का यूरोप और एशिया के बीच का समय लगभग सप्ताह भर कम हो जाता है। इस मार्ग के बगैर अफ्रिका होकर जहाजों को जाना होता है जिससे समय और खर्च दोनों बढ़ जाते हैं।

किसने बनाई स्वेज नहर

  • 19वीं शताब्दी के मध्यकाल में इस नहर का मालिकाना फ्रांसिसी निवेशकों के पास था, जब मिस्र का नियंत्रण ओटोमेन साम्राज्य के अधीन था।
  • इस नहर की खुदाई में दस वर्ष का समय लगा था। जो 1859 में पूर्ण हुआ।
  • इस परियोजना में 15 लाख मजदूरों ने कार्य किया था।
  • स्वेज नहर प्राधिकरण के अनुसार, मिस्र की सरकारी एजेंसी जो जलमार्ग का संचालन करती है, परियोजना को प्रत्येक 10 महीने में 20,000 किसानों का भेजती थी।
  • ब्रिटेन और फ्रांस की औपनिवेशिक शक्तियों के खिलाफ मिस्र में राजनीतिक टकराव ने नहर के प्रगति कार्य को धीमा कर दिया, और इससे निर्माण की लागत लगभग 50 मिलियन डॉलर बढ़ गई जो अनुमान की दोगुनी थी।
  • इस नहर का नियंत्रण दो विश्व युद्धों के दौरान ब्रिटेन के पास था। लंबे समय तक चली बातचीत के बाद 1956 में ब्रिटेन ने अपनी सेना को हटा लिया और इस नहर का नियंत्रण मिस्र के हाथ चला गया।

जब स्वेज नहर को लेकर युद्ध की स्थिति बन गई
वर्ष 1956 में युद्ध की स्थिति बन गई थी। इसे जब मिस्र के राष्ट्रपति ने राष्ट्रीकृत मार्ग बनाया तो इजरायल और पश्चिमी शक्तियों को अपनी सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस होने लगा। जिसके बाद इजरायल, ब्रिटेन और फ्रांस की सेना ने हस्तक्षेप किया।

इसके कारण नहर अल्प समय के लिए बंद भी हो गई। जिसका परिणाम हुआ कि रूस और अमेरिका इसे लेकर उलझ गए। वर्ष 1957 के प्रारंभ में संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में एक समझौता हुआ और शांति सेना भेजी गई। इसे मिस्र की जीत के रूप में देखा गया।

कब-कब बंद हुई थी नहर की आवाजाही

  • मिस्र ने इस नहर से आवाजाही को वर्ष 1967 में लगभग दशक तक रोक दिया था। यह वो काल था जब अरब और इजरायल के बीच युद्ध हुआ था। उस समय यह मार्ग इजरायल और मिस्र के बीच युद्ध का मैदान बन गया था। इसमें 14 जहाज उस काल में फंसे रह गए जिन्हें यलो फ्लीट कहा जाता है। ये मालवाहक जहाज वहां से वर्ष 1975 में निकले। जब मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सदत ने इस मार्ग को खुलवाया।
  • इसके बाद भी दुर्घटनाओं के कारण कई बार स्वेज नहर का मार्ग बंद होता रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वर्तमान की घटना है जब एवर गिवेन नामक विश्व के सबसे बड़े सामान ढुलाई के जहाजों में से एक यहां फंस गया था। इसके कारण सप्ताह से अधिक समय तक यह मार्ग बंद रहा।
  • वर्ष 2004 में रूसी तेल वाहक जहाज जमीन में धंस गया था। जिसके कारण लगभग तीन दिनों तक मार्ग बंद रहा।
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