प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन महामारी में महाअवसर खोज रहे हैं। ये अपने आतंकी नेटवर्क और सामान्य लोगों में अपनी पैठ बनाने के लिए फिर आतंकी चंदे का उपयोग करने के प्रयत्न में है। इसके लिए सख फॉर जस्टिस जैसी की संस्थाएं कोविड 19 प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता देने के लिए योजना शुरू कर चुकी हैं।
यह संस्था ऑक्सीजन देने और दस हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए लोगों से फॉर्म भरवा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस आतंकी चंदे के लिए सिख फॉर जस्टिस का आतंकी मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू कार्य कर रहा है। वह अमेरिका में रहता है और वहां से महामारी में अपने संगठन की जड़ें जमाने के लिए महाअवसर बनाने के प्रयत्न में है।
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सरकार पर प्रहार
देश के विरुद्ध कार्य में संलिप्त यह गिरोह भारत के दुश्मनों के हाथों की कठपुतली की तरह कार्य करता रहा है। सूत्रों के अनुसार किसान यूनियन द्वारा किया जा रहे आंदोलन में अपने झंडे लहराने और आतंक करने के लिए इसने चंदे दिये थे, इसकी गुप्त सूचनाएं भी मिलती रही हैं और यह सब जांच का विषय है। लेकिन अब कोविड 19 की दूसरी लहर ने इन्हें पंजाब में लोगों तक पहुंचने का अवसर दे दिया है। सहायता के नाम पर गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप से आतंकी चंदा इकट्ठा कर रहा है।
खालिस्तान ऑक्सीजन
एक संदेश में खालिस्तानी संस्था कहती है कि कोविड 19 संक्रमण से पीड़ित लोगों में एसएफजे 40 लाख डॉलर ऑक्सीजन फंड के रूप में बांटेगी।
यह पैसे उन लोगों को दिये जाएंगे जिनके लिए एसएफजे का आरोप है कि उन्हें पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह की राज्य सरकार और नरेंद्र मोदी की सरकार ने मरने के लिए छोड़ दिया है। इसके लिए एसएफजे ने एक पोर्टल भी लांच किया है। जिसके द्वारा ऐसे प्रभावित जो सहायता लेना चाहते हैं वे अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
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भारत को अस्थिर रखने की मंशा
खालिस्तान के नाम पर सिख फॉर जस्टिस निरंतर कार्य करती रही है। यह सिखों का जनमत संग्रह कराने की घोषणा करके विदेश में रहनेवाले सिखों को लुभाने का प्रयास कर चुकी है। अब एक बार फिर यह भारत के अंदर खालिस्तान के नाम पर उन्माद उत्पन्न करना चाह रही है।
गुरपतवंत सिंह पन्नू के साथी कनाडा में गुरमीत सिंह, चो धालीवाल, अनीता लाल जैसे लोग हैं। जो किसान यूनियन के आंदोलन में षड्यंत्र रच चुके हैं। इसमें अंतरराष्ट्रीय इन्फ्लुएंसरों का उपयोग करके भारत की छवि धूमिल करने का ब़ड़ा प्रयत्न हुआ था। एक टूलकिट भी ग्रेटा थनबर्ग ने अपने सोशियल मीडिया अकाउंट से जारी किया था। इस कार्य में इसने नई पीढ़ी के भ्रमित भारतीय युवाओं को एजेंट बना लिया है।
जड़ें जमीन तक जमाने का प्रयत्न
एसएफजे 2020 में जनमत संग्रह कराना चाहती थी। इसके लिए उसने भारत के दुश्मनों से और खालिस्तान के समर्थक धड़ों से धन भी इकट्ठा किया था। परंतु, एक तो भारत सरकार की प्रबलता और दूसरा कोरोना महामारी के कारण इस पर पानी फिर गया। ऐसे में संस्था अब कोरोना पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता के नाम पर अपनी ज़ड़ जमीन तक जमाने के प्रयास में है।