Sanatan Rashtra Shankhnaad Mahotsav: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पश्चात भारत द्वारा दिया गया कठोर प्रत्युत्तर भले ही औपचारिक युद्धविराम में परिणत हुआ हो, परंतु पाकिस्तान द्वारा छद्म युद्ध और कूटनीतिक शरारतें अब भी जारी हैं। ऐसी परिस्थितियों में भारत की विजय सुनिश्चित हो और धरती पर एकमात्र सनातन राष्ट्र भारत की रक्षा हो, इस उद्देश्य से सनातन संस्था की ओर से फोंडा, गोवा के फर्मागुड़ी क्षेत्र में स्थित ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ के पावन स्थल पर 20 से 22 मई 2025 तक त्रिदिवसीय ‘शतचंडी यज्ञ’ का विधिवत शुभारंभ हुआ है ।
इस यज्ञ के यजमान के रूप में श्रद्धेय सद्गुरु श्री नीलेश सिंगबाळ और सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्शक्ति (सौ.) बिंदा नीलेश सिंगबाल, तथा सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळ एवं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले की ही आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीचित्शक्ति (सौ.) अंजली मुकुल गाडगील इस यज्ञ में सहभागी बनी हैं।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियों का समवेत रूप ही श्री चंडीदेवी
यज्ञ की शुरुआत श्रीगणेश पूजन, पुण्याहवाचन, मातृका पूजन, नांदी श्राद्ध तथा वास्तु मंडल देवताओं के आह्वान, पूजन और बलिदान जैसे विधियों द्वारा की गई। तत्पश्चात प्रधान देवताओं के आह्वान और पूजन के उपरांत पंचाक्षरी होम की दिव्य प्रक्रिया संपन्न हुई। यह शतचंडी यज्ञ शिवागम विद्यानिधि आगमाचार्य श्री अरुणकुमार गुरुमूर्ति और गुरुमूर्ति शिवाचार्य के मार्गदर्शन में संपन्न हो रहा है। यज्ञ में सम्मिलित पुरोहितों ने बताया कि समस्त देवताओं की शक्ति, तेज और कृपा चंडी रूप में समाहित होती है। इसी कारण चंडी देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ कहा गया है। अष्टभुजा महालक्ष्मी भी उनका एक रूप है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियों का समवेत रूप ही श्री चंडीदेवी हैं। अतः चंडी यज्ञ में सभी पूजाओं की पूर्णता अंतर्निहित है।