किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई स्थगित हो गई है। कोर्ट में अब सर्दियों की छुट्टियां हैं इसलिए वैकेशन बेंच सुनवाई करेगा। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आंदोलन करने के तरीके में बदलाव होना आवश्यक है। किसान बातचीत के लिये तैयार हों।
दिल्ली की सीमा पर चल रहा किसानों का आंदोलन 22वें दिन भी जारी है। किसानों को सड़कों से हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई में चीफ जस्टिस ने कहा कि,
किसानों को प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन प्रदर्शन के तरीके पर चर्चा हो सकती है। हम प्रदर्शन के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते हैं। प्रदर्शन का अंत होना जरूरी है, हम प्रदर्शन के विरोध में नहीं हैं लेकिन बातचीत भी होनी चाहिए।
चीफ जस्टिस ने सरकारी पक्ष को कहा कि,
हमें नहीं लगता कि किसान आपकी बात मानेंगे, अभी तक आपकी चर्चा सफल नहीं हुई है इसलिए कमेटी का गठन जरूरी है।
अटॉर्नी जनरल ने अपील की है कि 21 दिनों से सड़कें बंद हैं, जो खुलनी चाहिए। वहां लोग बिना मास्क के बैठे हैं, ऐसे में कोरोना का खतरा है।
याचिका में ये हैं मांग
इस याचिका को कई संगठनों ने दायर किया है। जिनकी सुनवाई एक साथ सुप्रीम कोर्ट में हो रही है। इन याचिकाकर्ताओं में से एक के अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि,
कोई अधिकार पूर्ण नहीं है। अपने विचार रखने का सभी को अधिकार है लेकिन दूसरों की निजता के उल्लंघन तक नहीं। आंदोलन के अधिकार का अर्थ दूसरों से उनके अधिकार छीनने का नहीं होना चाहिए। आंदोलन का अधिकार इस स्तर तक नहीं हो सकता कि जबरदस्ती शहर को अपनी मांग मनवाने के लिए रोक दिया जाए।
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