Sanatan Rashtra Shankhnaad Mahotsav: “राष्ट्र की रक्षा शस्त्र से ही करनी पड़ती है। साधु-संतों की रक्षा हेतु श्रीराम ने अवतार लिया। मुगलों के अत्याचार बढने पर छत्रपती शिवाजी महाराज और गुरु गोविंदसिंह जैसे महान योद्धा जन्मे। आज ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रभु श्रीराम पुनः हिंदू रक्षा हेतु अवतरित हुए हैं।” ऐसा प्रभावशाली वक्तव्य ‘चाणक्य फोरम’ के मुख्य संपादक तथा सेवानिवृत्त मेजर गौरव आर्य ने किया। यह विचार उन्होंने महोत्सव के “सनातन राष्ट्र और सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले का विविध कार्य” इस सत्र में ‘सनातन राष्ट्र की सुरक्षा’ इस विषय पर व्यक्त किए।
इस अवसर पर मंच पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, पंजाब गोरक्षक दल के संस्थापक अध्यक्ष सतीश प्रधान, सनातन संस्था के धर्मप्रचारक सद्गुरु नंदकुमार जाधव एवं हिंदू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र व छत्तीसगढ राज्य समन्वयक सुनील घनवट उपस्थित थे।
“हिंदुओं का राजनीतिकरण और राजनीति का सैन्यीकरण आवश्यक है। हिंदुओं को बलशाली बनना ही चाहिए। स्वतंत्रता के पश्चात देश की सत्ता में आए सरकारों ने इस ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण देश का अवमूल्यन हुआ। उस समय सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले ने हिंदुओं को संगठित करने का कार्य प्रारंभ किया। सनातन के गोवा आश्रम में आकर मुझे डॉ. आठवले के आध्यात्मिक कार्य की अनुभूति हुई। वे एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं, जो राष्ट्र को दिशा देने का कार्य कर रहे हैं। हिन्दुओं को बलशाली बनाने हेतु जो कार्य आवश्यक है, वह सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले कर रहे हैं।” ऐसा मत रणजीत सावरकर ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर सुनील घनवट ने कहा, “हिंदुओं को धर्मशिक्षा प्राप्त हो, इस हेतु हिंदू जनजागृति समिति ने धर्मशिक्षा वर्ग शुरू किए हैं। वर्तमान में देशभर में समिति की ओर से 500 स्थानों पर धर्मशिक्षा वर्ग चलाए जा रहे हैं। समिति ने समाज को दिशा देने का कार्य किया है।”
सनातन संस्था के सद्गुरु नंदकुमार जाधव ने कहा, “सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले ने साधकों का मार्गदर्शन कर संपूर्ण विश्व में अध्यात्म का प्रचार किया है। साथ ही, नृत्य, गायन और संगीत के माध्यम से आध्यात्मिक प्रगति कैसे की जा सकती है, यह मार्गदर्शन भी उन्होंने दिया।”
पंजाब गोरक्षक दल के संस्थापक अध्यक्ष सतीश प्रधान ने कहा, “जैसे महाराष्ट्र में गोमाता को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया गया है, वैसे ही गोवा सरकार को भी सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव के माध्यम से गोमाता को ‘राज्यमाता’ का दर्जा देना चाहिए।”
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