Sanatan Rashtra Shankhnaad Mahotsav: 20 हजार लोगों की उपस्थिति में ‘सनातन राष्ट्र संकल्प धर्मसभा’

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले के 83वें जन्मोत्सव और संस्था के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय के मैदान पर ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ आयोजित किया गया है।

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केवल जप करते रहने से काम नहीं चलेगा। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा था, ‘मेरा स्मरण करो एवं युद्ध करो!’ स्वतंत्रता (Independence) के पश्चात 70 वर्षों तक अपने देश पर काले अंग्रेजों का शासन था। अपना देश धर्मशाला (Dharamshala) बन गया है। अब समाज को अधर्म का प्रतिकार करने के लिए तैयार करने की आवश्यकता है। सनातन धर्म के आडे आने वाले कानूनों में बदलाव करके देश में उचित कानून होने चाहिए, इस पर प्रयास करने की आवश्यकता है। सनातन धर्म के प्रसार का कार्य यह साधना, ईश्वर की उपासना है। हमें अपने व्यक्तित्व की बाजी लगाकर और संगठित होकर परमात्मा की सेवा में स्वयं को समर्पित करना चाहिए। ऐसे में स्वर्णिम काल दूर नहीं, ऐसा मार्गदर्शन श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास (Shri Ram Janmabhoomi Teerth Kshetra Trust) के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद देवगिरी महाराज (Swami Govind Devagiri Maharaj) ने किया। इस अवसर पर देश-विदेश के 20 हजार से अधिक हिन्दू (Hindu) उपस्थित थे।

सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले के 83वें जन्मोत्सव और संस्था के रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय के मैदान पर ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ आयोजित किया गया है। महोत्सव की ‘सनातन राष्ट्र संकल्प’ सभा में वे बोल रहे थे। मंच पर सनातन के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना, ‘सनातन बोर्ड’ के देवकीनंदन ठाकुर, अखिल भारतीय आखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी महाराज, आचार्य महामंडलेश्वर अनंत विभूषित श्री श्री 1008 स्वामी बालकानंद गिरी महाराज, हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे, सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय, अयोध्या स्थित सिद्धपीठ हनुमान गढी मंदिर के महंत राजूदास महाराज, इंडोनेशिया स्थित धर्मस्थापनम् फाउंडेशन के धर्मयश महाराज, स्वामी आनंद स्वरूप और आर्ट ऑफ लिविंग के दर्शक हाथी उपस्थित थे। इस अवसर पर गणमान्य व्यक्तियों में सनातन संस्था की आध्यात्मिक उत्तराधिकारी श्रीसत्‌शक्ति बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति अंजली गाडगीळ की भी वंदनीय उपस्थिति थी।

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महोत्सव में युद्धकलाओं का प्रदर्शन- देवगिरी महाराज
गोविंद देवगिरी महाराज ने आगे कहा, ‘‘सनातन संस्था का संपूर्ण कार्य आध्यात्मिकता की नींव पर खडा है। भारत राष्ट्र को एक समझकर काम कर रहे हैं। भगवद्गीता युद्ध की भूमि पर कहा गया ग्रंथ है। सनातन संस्था ने भी इस ग्रंथ के अनुसार आध्यात्मिकता से युद्ध तक जागृति की है। मैंने इस महोत्सव में युद्धकलाओं का प्रदर्शन देखा। मुझे लगता है कि देश के सभी संतों को अपने शिष्यों को यह सिखाना चाहिए।’’

सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए शक्ति की उपासना करें- सतीश महाना
सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए जागृति आवश्यक है। इस जागृति के लिए केवल वाणी नहीं; अपितु साहस और शौर्य भी आवश्यक है। इसके लिए प्रत्येक हिन्दू को शक्ति की उपासना करनी चाहिए। सनातन संस्कृति ने हमेशा सबका हित देखा है। तथापि कुछ पंथों में ‘अन्य धर्मियों को मारो’ ऐसी शिक्षा दी जाती है। इस विषय में हिन्दुओं में जागृति होनी आवश्यक है।

जनसंख्या नियंत्रण कानून ही अनेक समस्याओं का उत्तर- अश्विनी उपाध्याय
देश में अल्पसंख्यकों की संख्या प्रचंड रूप से बढ रही है और हिन्दुओं की संख्या कम हो रही है। अल्पसंख्यकों की संख्या करोडों में बढ रही है, तो उन्हें अल्पसंख्यक कैसे कहा जाए? अल्पसंख्यकों के कारण ही लव जिहाद, लैंड जिहाद, धर्मांतरण सहित अनेक समस्याओं के हिन्दू शिकार हो रहे हैं। प्रतिदिन 10 हजार लोगों का धर्मांतरण हो रहा है। हवाला के माध्यम से पैसे की फंडिंग होने के कारण धर्मांतरण हो रहा है। घुसपैठिए सिंगापुर, चीन, अरब राष्ट्रों में घुसपैठ न करके भारत में ही क्यों आते हैं ? क्योंकि कांग्रेस द्वारा बनाए गए अनेक कानूनों के द्वारा उन्हें केवल सुविधाएं ही नहीं मिलतीं, अपितु कानूनी संरक्षण भी मिलता है। इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून ही अनेक समस्याओं का उत्तर है।

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‘सनातन राष्ट्र’ के लिए ‘धर्मदूत’ बनने का संकल्प करें- चारुदत्त पिंगले
भारत को ‘सनातन राष्ट्र’ बनाना, यह संतों का संकल्प है। इस संकल्प को पूरा करने के लिए हमें सर्वश्रेष्ठ योगदान देना होगा। विभीषण राम नाम जपते थे, वे श्रीराम के भक्त थे; परंतु हनुमानजी ने कहा, ‘‘केवल राम नाम लेने से प्रभु की कृपा नहीं होगी, अपितु प्रभु का कार्य करने से ही प्रभु की कृपा होगी !’’ हमें भी आज रामकाज का, अर्थात राष्ट्र और धर्म की रक्षा का कार्य करने का संकल्प करना होगा। ‘सनातन राष्ट्र’ के लिए ‘धर्मदूत’ बनने का संकल्प करना होगा!

धर्म के लिए हिन्दुओं को कट्टर होना ही होगा- राजूदास महाराज
सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव में हिन्दुत्व की जागृति हो रही है। हिन्दुत्व बचा, तो राष्ट्र बचेगा और भारत टिका, तो विश्व बचेगा। अन्य पंथ मौज-मस्ती के लिए हैं। केवल सनातन धर्म में विश्व कल्याण की भावना है। इसलिए सनातन धर्म की रक्षा आवश्यक है। सभी संतों को धर्मरक्षा के लिए भक्तों को जागृत करना चाहिए। धर्म के लिए हिन्दुओं को कट्टर होना ही होगा।

धर्मसत्ता और राजसत्ता के सहयोग से ही सनातन राष्ट्र की स्थापना- बालकानंद गिरी महाराज
शंकराचार्यों की सेना वाले अखाडों पर आज तक कोई भी कब्जा नहीं कर सका है। आज हमारे हृदय में जागृति आनी चाहिए कि धर्मसत्ता और राजसत्ता के सहयोग से ही सनातन राष्ट्र की स्थापना हो सकती है।

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सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव से मुझे विश्वरूप का दर्शन हुआ है- सुरेश चव्हाणके
वर्ष 2008 में भगवा आतंकवाद, साध्वी प्रज्ञासिंह की गिरफ्तारी और अत्याचार, इस प्रकार हिन्दू धर्म की बदनामी चल रही थी, तब मैंने सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले से मिलकर इस पर चर्चा की थी। उस समय उन्होंने दिव्य दृष्टि से जो जानकारी दी, उसका अनुभव आज भी मुझे हो रहा है। अन्य आध्यात्मिक संगठन विज्ञान के आधार पर हिन्दुओं का मार्गदर्शन करते हैं; परंतु सनातन संस्था ब्राह्मतेज और क्षात्रतेज का ज्ञान देकर धर्मकार्य कर रही है। सच्चे अर्थों में धर्म और अध्यात्म का प्रचार कर रही है। इसलिए शंखनाद महोत्सव का आयोजन किया गया है। इस महोत्सव से मुझे विश्वरूप का दर्शन हो रहा है।

सनातन संस्था के विचार प्रत्येक हिन्दू के मन में आएंगे, तब भारत हिन्दू राष्ट्र होगा- स्वामी आनंद स्वरूप
साधु-संतों के अखाडों की शौर्यगाथा और छत्रपति शिवाजी महाराज की शौर्यगाथा प्रत्येक को बतानी चाहिए। मैं सनातन के साधकों के चेहरे पर तेज देखता हूं और प्रत्येक सनातन के साधक में डॉ. आठवले को देखता हूं। सनातन संस्था के विचार प्रत्येक हिन्दू के मन में आएंगे, तब भारत हिन्दू राष्ट्र होगा।

अगली पीढी को रामायण और गीता की शिक्षाओं से वंचित न रखें- धर्मयश महाराज
हिन्दू धर्म हीरा है। इसलिए इसकी सतर्कता से रक्षा कर धर्म को आगे बढाना है। अपने बच्चे सनातन धर्म को आगे ले जाएंगे। इसलिए बच्चों को गीता और रामायण तो सिखाना ही होगा। (Sanatan)

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