रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में फिर की 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी! जानें, क्या होगा इसका असर

रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं।

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने रेपो रेट में फिर 0.50 फीसदी का इजाफा किया है। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट बढ़कर 4.90 फीसदी हो गई है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 जून को इसका ऐलान किया।

गवर्नर शक्तिकांत दास मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में नीतिगत दर में 0.50 फीसदी बढ़ोतरी का ऐलान किया। एक महीने के अंदर रिजर्व बैंक ने दूसरी बार रेपो रेट में इजाफा किया है। इसके पहले आरबीआई ने मई में रेपो रेट में 0.40 फीसदी का इजाफा कर 4.40 फीसदी कर दिया था। रेपो रेट में बढ़ोतरी से होम लोन और कार लोन सहित रेपो रेट बेंचमार्क लिंक्ड ब्याज दरों में इजाफा होगा। इससे लोन पर ईएमआई बढ़ जाएगी।

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रेपो रेट और रिवर्स रेट क्या होता हैः
रेपो रेट वह दर है, जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। ऐसे में रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे, जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट के ठीक विपरीत होता है। रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर रिजर्व बैंक से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजार में लिक्विडिटी, यानी नकदी को नियंत्रित किया जाता है। रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी।

सब लोग अचंभित
आरबीआई ने पिछले महीने नीतिगत दर (रेपो दर) और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में बढ़ोतरी कर सबको अचंभित कर दिया था। रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दिया था, जबकि सीआरआर में 0.50 प्रतिश की वृद्धि कर 4.5 प्रतिशत कर दिया था।

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