आरबीआई ने आम आदमी को दिया एक और झटका, फिर बढ़ा रेपो रेट

आरबीआई ने लगातार छठी बार रेपो रेट बढ़ाया है। आरबीआई ने अब तक रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुकी है।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक बार फिर आम आदमी को महंगाई का झटका दिया है। आरबीआई ने बुधवार को रेपो रेट में 25 आधार अंक (बेसिस प्वाइंट) अथवा 0.25 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का फैसला लिया है। पिछले एक साल में यह छठी बार है, जब आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है, जिससे कर्ज महंगे हो जाएंगे। इस बढ़ोत्तरी के साथ ही रेपो रेट बढ़कर 6.50 प्रतिशत हो गया है।

गवर्नर दास ने इसे बताया आखिरी बढ़ोत्तरी
आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास ने कहा कि रेपो दर में जो बढ़ोत्तरी की गई है, वह शायद आखिरी बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने आगामी महीनों में ब्याज दरो में बढ़ोत्तरी रुकने की उम्मीद जताई है। मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक सोमवार को शुरू हुई थी। गवर्नर दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति में छह सदस्य शामिल हुए थे, जिसमें चार सदस्यों ने रेपो रेट में बढ़ोत्तरी का निर्णय लिया।

छठवीं बार बढ़ा रेपो रेट
आरबीआई ने लगातार छठी बार रेपो रेट बढ़ाया है। इसके पहले आरबीआई पांच बार रेपो रेट में इजाफा कर चुकी है। आरबीआई ने अब तक रेपो रेट में 2.50 प्रतिशत की वृद्धि कर चुकी है। बता दें कि मई में रेपो रेट दर 0.40 प्रतिशत, जून, अगस्त और सितंबर महीने में 0.50 प्रतिशत से और साल के अंत में 0.30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की थी। ब्याज दर बढ़ने से सबसे ज्यादा झटका आम आदमी को लगा है।

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क्या है नीतिगत ब्याज दर?
नीतिगत ब्याज दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक और वित्तीय संस्थान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आरबीआई से कर्ज लेती है। रेपो दर में बढ़ोत्तरी के बाद अब बैंक और वित्तीय संस्थाओं से लिया जाने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा। आरबीआई भी बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को अधिक ब्याज दर में कर्ज देगी। इससे मौजूदा कर्ज की किस्त (ईएमआई) बढ़ जाएगी। जिसका असर आम आदमी पर पड़ेगा।

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