ऐप पर लोन,डेंजर जोन!

आरबीआई ने चेतावनी दी है कि किसी भी अनधिकृत ऐप को अपने केवाईसी के कागजात नहीं दें। अगर कोई ऐप या डिजिटल प्लेटफॉर्म ठगी करने की कोशिश करता है तो संबंधित एजेंसियों में इसकी शिकात करें। ग्राहक इसकी शिकायत आरबीआई के ऑनलाइन पोर्टल सचेत आरबीआई.ऑर्ग.इन पर शिकायत कर सकते हैं।

85

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर ठगी की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक( आरबीआई) ने लोगों को सतर्क रहने का आह्वान किया है। 24 दिसंबर को आरबीआई ने इस बारे में एक नोटिफिकेशन जारी किया है। पिछले कुछ दिनों से फर्जी प्लेटफॉार्म और ऐप के जरिए व्यक्तिगत और छोटे ग्राहकों व कारोबाररियों को आसानी से कुछ घंटों में लोन उपलब्ध कराने का लालच देकर उनसे बड़े पैमाने पर ठगी किए जाने के कई मामले प्रकाश में आए हैं। ऐसे डिजिटल फ्लेटफॉर्म पर ग्राहकों को बिना कागजात के भी लोन दिए जाते हैं। लेकिन इसके बदले में उनसे भारी भरकम ब्याज के साथ ही अन्य शुल्क भी वसूले जाते हैं।

आरबीआई का नोटिफिकेशन
आरबीआई ने लोगों को ऐसे लोनधारकों से सतर्क रहने का आह्वान किया है। आरबीआई ने चेतावनी दी है कि किसी भी अनधिकृत ऐप को अपने केवाईसी के कागजात नहीं दें। अगर कोई ऐप या डिजिटल प्लेटफॉर्म ठगी करने की कोशिश करता है तो संबंधित एजेंसियों में इसकी शिकात करें। ग्राहक इसकी शिकायत आरबीआई के ऑनलाइन पोर्टल सचेत आरबीआई.ऑर्ग.इन पर शिकायत कर सकते हैं।

ये भी पढ़ेंः सावधान… वैक्सीन पर अब है आतंकी नजर! 

यहां से लें लोन
बैंक, आरबीआई में रजिस्टर्ड व रजिस्टर्ड गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों( एनबीएफसी) और अन्य राज्य सरकार के वैधानिक प्रावधानों के तहत रजिस्ट्रड संस्थानों से लोन लिया जा सकता है। इसलिए सिर्फ यहीं से लोन लें। इसके साथ ही किसी अनजान ऐप को अपना केवाईसी डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध नहीं कराएं। अगर कोई ऐसे संदेहास्प्द ऐप से आपको कोई कॉल या मेसेज आता है तो आप संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों में इसकी शिकायत कर सकते हैं।

60 मिनट में लोन लेना पड़ सकता है महंगा
बैंक और गैर वित्तीय कंपनियां( एनबीएफसी) लोन देने से पहले काफी जांच-पड़ताल करती हैं। उसके बाद ही लोन देती है। इसे मौका के रुप में देखकर ही ऐप के जरिए ऑनलाइन लोन देनेवाली कंपनियां मात्र 60 मिनट में कर्ज की पेशकश कर 360 प्रतिशत तक ब्याज वसूल रही हैं। इन कंपनियों का घिनौना खेल इतना बेकाबू हो गया है कि लोग जान देने को मजबूर हो जाते हैं। हाल ही में कई लोगों ने लोन एप्स की वसूली के दबाव में आकार अपनी जान दे दी। उनमें से टीवी सीरियल तारक मेहता के उल्टा चश्मा के लेखक अभिषेक मकवाना का नाम भी शामिल है।

युवा बन रहे हैं शिकार
इस तरह कर्ज देनेवाली कंपनियों के जाल में ज्यादातर युवा फंस रहे हैं। हैदराबाद के एक 28 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजिनियर पी. सुनील ने भी ऐप के जरिए कर्ज लिया था। वसूली के लिए मिलनेवाली धमकी से परेशान होकर उसने आत्महत्या कर ली।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सेव देम इंडिया फाउंडेशन ने ऐसी कंपनियों पर सख्ती बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रवीण कलाइसेलवन ने कोर्ट से ऐसी कंपनियों और उनके रिकवरी एजेंटों पर अंकुश लागने के लिए आरबीई को निर्देश देने का अनुरोध किया है। बैंक और एनबीएफसी के लिए लोन देने और वसूलने को लेकर बेहद सख्त दिशा-निर्देश हैं। लेकिन ऐसी फर्जी कंपनियां इन नियमो को मानने से इनकार करती हैं।

ये भी पढ़ेंः यूरोप वालों के पीछे पड़ेगी मनपा!

ईएमआई की सुविधा नहीं
फर्जी कंपनियां ज्यादातर छोटे लोन देती हैं और इनकी लोन चुकाने की अवधि भी बहुत कम होती है। मान लें कि अगर कोई ऐसी कंपनी 15 हजार 15 दिनों के लिए लोन देती है, तो 16वें दिन से उसका ब्याज काफी बढ़ जाता है और साथ ही लोन चुकाने के लिए भी दबाव बढ़ने लगता है। ध्यान देनेवाली बात यह है कि किसी भी अधिकृत कर्जजाता संस्थान का ब्याज 20 प्रतिशत से कम होता है। अनधिकृत ऐप और डिजिटल फ्लेटफॉर्म पर लोन देनेवाली फर्जी कंपनियों के लोन में ईएमआई की सुविधा नहीं होती और 15 दिन या एक महीने की छोटी अधवि के लिए लोन दिया जाता है। ऐसी कंपनियां 500 से एक लाख तक लोन देती है।

कंट्रोल के कानून नहीं
भारत में ऐप के जरिए लोन देनेवाली कंपनियों में चीनी कंपनियों का दबदबा बताया जाता है। यहा कर्ज देनेवाली कंपनियों पर ब्याज को लेकर कोई कंट्रोल नहीं है। चीन में इसके खिलाफ सख्त कानून है। वहां 36 फीसदी से ज्यादा ब्याज वसूलनेवाली कंपनियों को जेल भेजने का प्रावधान है। जानकारों का मानना है कि चीन में सख्ती बढ़ने के बाद इन कंपनियों ने भारत में यह घिनौना खेल शुरू किया है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.