अब बलात्कार, अवैध यौन संबंध और नाबालिग के प्रेगनेंट होने के मामलों में 24 हफ्तों के भ्रूण का भी गर्भपात कराया जा सकेगा। संसद में 50 साल पुराने कानून में संशोधन को हरी झंडी दे दी है। पहले यह समय सीमा 20 हफ्ते तक ही थी। इस संशोधन को राज्य सभा ने 16 मार्च को ही पारित कर दिया था। 19 मार्च को इसे लोकसभा में भी पारित कर दिया गया।
बता दें कि इस बिल को लोकसभा में 2020 में ही पास कर दिया था। लेकिन राज्यसभा ने एक खास संशोधन के साथ इसे फिर से लोकसभा में भेज दिया था।
रेप के बाद प्रेगनेंट हो जाने वाली महिलाओं को बड़ी राहत
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा इस बिल पर हस्ताक्षर करने के बाद यह कानून बन जाएगा। बलात्कार के बाद प्रेगनेंट हो जाने वाली महिलाओं को इससे बड़ी राहत मिलेगी। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी अमेडमेंट बिल 2020 के माध्यम से यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को राहत मिल सकेगी।
#RajyaSabha द्वारा संशोधित 'The Medical Termination of Pregnancy (Amendment) Bill, 2020' को आज #LokSabha में ध्वनिमत से पास करने के लिए माननीय सदस्यों का आभार।
गर्भपात के संबंध में विभिन्न देशों के क़ानूनों का गहन अध्ययन करने के बाद इसे तैयार किया गया है।@PMOIndia pic.twitter.com/7qFOEjSPeD
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) March 19, 2021
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क्या कहता है पुराना कानून?
1971 में बने इस कानून के तहत 20 हफ्ते से अधिक भ्रूण का गर्भपात कराना गैर कानूनी था। इसके आलावा बलात्कार पीड़ित महिलाओं की पहचान उजागर करनेवाले डॉक्टर को भी एक साल जेल हो सकती थी।
10 साल की रेप पीड़िता का मामला उजागर होने पर उठी मांग
चंडीगढड में 2017 में एक नाबालिग के रेप से गर्भवती होने का मामला सामने आने पर कानून मे बदलाव की मांग की जाने लगी थी। पीड़िता के साथ उसके मामा ने ही कई महीने तक बलात्कार किया था। इसके चलते पीड़िता प्रेगनेंट हो गई थी। बाद में यह मामला अदालत में पहुंचने पर ऑबर्शन से इनकार करने पर 10 वर्षीय लड़की ने ऑपरेशन से बच्ची को जन्म दिया था। संशोधित कानून के मुताबिक यह समय सीमा उन पर लागू नहीं होगी, जिन्हें ऑबर्शन से कोई समस्या होने की आशंका हो।