मोपला का दूसरा रूप पीएफआई, मुसलमान जनसंख्या फिर विभाजन के पहलेवाले स्तर पर – रणजीत सावरकर का चौतरफा प्रहार

कर्नाटक में वीर सावरकर के विचारों को सकल हिंदू समाज अपना रहा है। इस कारण कांग्रेस, वामपंथी और जोहादी मानसिकत के लोग छटपटा रहे हैं। उनको ठोस उत्तर देने के लिए धारवाड़ के कार्यक्रम में सहमति बनी।

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कर्नाटक के धारवाड़ में देशभक्त नागरिक मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वीर सावरकर पर चक्रवर्ती सुदिनबेले लिखित पुस्तक का अनावरण कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में कर्नाटक प्रान्त में हिंदुओं की स्थिति, पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी राजनीतिक इकाई एसडीपीआई के षड्यंत्रों पर विस्तृत चर्चा हुई।

कोरोना संक्रमित होने का कारण उपस्थित न हो पाए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर के लिखित भाषण को उनेक प्रतिनिधि धनंजय शिंदे ने पढ़ा।

पाकिस्तानी पीएम के लिए कांग्रेस सत्ता ने भेजा वीर सावरकर को जेल
रणजीत सावरकर ने अपने भाषण का प्रारंभ कर्नाटक से वीर सावरकर का पुराने संबंध के उल्लेख से किया, ‘4 अप्रैल 1950 को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री लियाकत अली के भारत आगमन का विरोध करने पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर को गिरफ्तार करके बेलगाव के हिंडलगा जेल में रखा गया। यह कारावास काल सौ दिनों का था, 13 जुलाई, 1950 को उन्हें मुक्त किया गया। आप सोचिये कितनी खोखली मानसिकता थी उस काल की कांग्रेस सरकार की, उसने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के स्वागत के लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर को गिरफ्तार करवा दिया। वह स्थिति अब भी बदली नहीं है, राष्ट्र द्रोही शक्तियां आतंक रच रही हैं और गली-गली में लियाकत अली पैदा हो गए हैं, जिनका समर्थन करने के लिए सरकारें पलक पावने बिछाए बैठी हैं।’

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ताकि, मोपला ब्रदर्स का हो जाए खात्मा
रणजीत सावरकर ने उल्लेख किया कि, वर्तमान परिस्थितियां सौ वर्ष पहले की विभाजन काल की ही हैं, परंतु इस काल का समाज जागृत है। आज हम वीर सावरकर के विचारों पर चलें तो भारत का दूसरा विभाजन नहीं होने देंगे। इसके लिए सभी राष्ट्रवादी संगठनों को साथ आना आवश्यक है। सरकार इस दिशा में कुछ करे न करे हमें राष्ट्रवादी विचारों को लेकर एकट्ठा रहना होगा। जिससे मोपला की पुनरावृत्ति न हो। मोपला की संतानें पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया और एसडीपीआई के रूप में सिमी के दूसरे रूप में पनप गई है। इसको समाप्त करने के लिए हमें स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचारों को अपनाना होगा।

राष्ट्र फिर सौ वर्ष पीछे की परिस्थिति में
रणजीत सावरकर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, अब जब हम कह रहे हैं कि भारत सौ वर्ष पहले जहां था, वर्तमान में फिर वहीं आ गया है तो, इसका प्रमाण है कि वर्ष 1921 की जनगणना में मुस्लिम जनसंख्या 22 प्रतिशत थी, जो अब फिर उसी आंकड़े पर आ गई है। 1919 में भारत में जो खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ वह भारत के लिए बिल्कुल नहीं था, बल्कि तुर्किस्तान के ओटोमन वंश के खलिफा अब्दुल हमीद-द्वितीय को वहां की जनता ने बर्खास्त कर दिया था। उसको फिर तुर्किस्तान की गद्दी दिलाने के लिए जिस जिहाद की पुकार अब्दुल हमीद -द्वितीय द्वारा की गई थी। उसके समर्थन में भारत के मुसलमानों ने खिलाफत आंदोलन शुरू किया और ब्रिटिशों का विरोध किया। इसे कांग्रेस ने समर्थन दिया था। इस आंदोलन के दौरान जो हिंसाचार हुआ, उसमें हजारो हिंदुओं की हत्याएं की गईं, महिलाओं से बलात्कार किया गया, धर्मांतरण किया गया फिर भी कांग्रेस उनका समर्थन करती गई। केरल का मोपला इसका सबसे बड़ा केंद्र था। यह पहली बार था जब मुसलमानों ने एक गैर राष्ट्र के लिए आंदोलन किया और उसे कांग्रेस से पूरा सहयोग मिला, जिसके कारण मुसलमानों में अपने स्वतंत्र राष्ट्र निर्माण करने की प्रेरणा जगी। 1947 तक एक तो मुसलमानों की जनसंख्या 22 प्रतिशत से बढ़कर 26 प्रतिशत हो गई थी, दूसरा कांग्रेस का उनको मिला समर्थन और स्वातंत्र्यवीर सावरकर के विचारों को न सुनने के कारण भारत का विभाजन हो गया।

धारवाड़ में आयोजित भव्य कार्यक्रम में श्री क्षेत्र द्वारापुर, धारवाड (कर्नाटक) के संत श्री परमात्माजी महाराज, श्रीरामसेने के संस्थापक प्रमोद मुतालिक, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रान्त प्रमुख श्रीधर, विधायक अरविंद बेलद, अयप्पा देसाई और स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर के प्रतिनिधि धनंजय शिंदे उपस्थित थे।

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