Pope Death: पोप फ्रांसिस की मृत्यु पर भारत में 3 दिन का राष्ट्रीय शोक हिंदू सनातन संस्कृति के लिए एक आत्मघाती कदम- मनीष पांडेय

यह बात किसी से छुपी नहीं है कि आज भारत की गली-गली मोहल्ले मोहल्ले में हिंदुओं को धर्मांतरित ईसाई मिशनरियों द्वारा किया जा रहा है।

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Pope Death: इसी पंथ के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस (Pope Francis) की मृत्यु किडनी की बीमारी (kidney disease) के चलते ब्रेन स्ट्रोक हो जाने की वजह से मृत्यु हो गई, दुनिया भर के ईसाई समुदाय शोक संतप्त है, किंतु भारत में यह कुछ ज्यादा ही हो रहा है 3 दिन का राष्ट्रीय शोक भारत सरकार द्वारा घोषित किया गया है, सर्वप्रथम भारत सरकार के इस निर्णय का मैं कड़े शब्दों में विरोध करता हूं।

क्योंकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जहां पूरा विश्व एक और इस्लामी आतंकवाद से ग्रसित है वहीं दूसरी ओर वह ईसाईयत आतंकवाद और धर्मांतरण से भी बुरी तरह त्रस्त है, भारत के परिप्रेक्ष्य में यह कहना बिल्कुल सही होगा कि भारत में हिंदू सनातन धर्म पर आघात करने में ईसाइयत सबसे आगे है, यह बात किसी से छुपी नहीं है कि आज भारत की गली-गली मोहल्ले मोहल्ले में हिंदुओं को धर्मांतरित ईसाई मिशनरियों द्वारा किया जा रहा है।

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अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका
वर्ष 1999 में जब इसी धर्मगुरु पोप जान पाल भारत आए हुए थे उसे दौरान उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि ईसाइयत की पहली सहस्राब्दी में हमने यूरोप को इसाई बनाया, दूसरी सहस्राब्दी में हमने अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका आदि महाद्वीपों में ईसाइयत का झंडा फहराया, और इस सहस्राब्दी में हमें यूरोप को ईसाइयत के झंडे तले लाना है, कौन नहीं जानता कि भारत में मदर टेरेसा द्वारा सेवा की आड़ में बड़े पैमाने पर हिंदुओं का धर्मांतरण किया गया था, बड़े आश्चर्य की बात है कि पोप फ्रांसिस किडनी की बीमारी के चलते ब्रेन स्ट्रोक से मर गए, ऐसा भला क्यों हुआ?

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हिंदुओं को धर्मांतरित करना
सवाल यह उठता है कि जब ईसाइयत के बड़े-बड़े तथाकथित संत भारत के गली-गली मोहल्ले मोहल्ले में लोगों की बीमारियों को मात्र छूकर ही समाप्त करने का दावा करते हुए प्रार्थना सभाओं का आयोजन करते हैं, हर प्रकार की बीमारी का इलाज मात्र प्रार्थना करके इन प्रार्थना सभा में किया जाता है फिर पूर्व फ्रांसिस का इलाज यह लोग क्यों नहीं कर पाए? स्पष्ट है की प्रार्थना सभाओं का आयोजन मात्रा हिंदुओं को धर्मांतरित करना है ना कि उनकी बीमारी को ठीक करना, सेवा और शिक्षक के नाम पर भारत में खोले गए इसी स्कूलों की आड़ में भी बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कार्य किए जाते हैं।

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3 दिन का राष्ट्रीय शोक आयोजित
जिस प्रकार मदरसे आतंकवाद का केंद्र है ठीक उसी प्रकार इसी स्कूल भी धर्मांतरण के एक बड़े केंद्र के रूप में जाने पहचाने जाते हैं, भारत सरकार द्वारा ऐसा आत्मघाती निर्णय कि पोप फ्रांसिस की मृत्यु पर 3 दिन का राष्ट्रीय शोक आयोजित करके न सिर्फ इन ईसाई मिशनरियों को भारत में बल प्रदान किया है बल्कि भारत में धर्मांतरण के रास्तों को और भी लचीला बना दिया है, भारत सरकार को यह समझना चाहिए कि वोट बैंक की राजनीति के चक्कर में भारत की अस्मिता भारत की हिंदू सनातन संस्कृति को सूली पर चढ़ाने, और उसके समक्ष नतमस्तक होने का कार्य न करें।

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