असमः मुख्यमंत्री के इस कदम से जिहादियों की नहीं खैर, मदरसों पर ऐसे रखी जाएगी कड़ी नजर

मुख्यमंत्री ने बीती रात मडिया से बाचतीच में कहा कि पुलिस ने जिहादियों से संबंध रखने वाले दो लोगों को हिरासत में लिया है।

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असम सरकार जल्द ही राज्य के बाहर से आने वाले इमामों और मदरसा शिक्षकों के लिए पुलिस सत्यापन और ऑनलाइन पंजीकरण अनिवार्य करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया को यह जानकारी दी।

यह कदम भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) से जुड़े बांग्लादेश स्थित आतंकवादी संगठन अंसारुल्ला बांग्ला दल (एबीटी) से जुड़े बांग्लादेशी नागरिकों सहित 25 लोगों की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने उठाया है।

ग्वालपाड़ा पुलिस ने 20 अगस्त को जिले में दो अलग-अलग मस्जिदों के साथ दो इमामों अब्दुस सुभान (43) और जलालुद्दीन शेख (49) को गिरफ्तार किया है। इनसे एबीटी और एक्यूआईएस जैसे जिहादी संगठनों से संबंधित आपत्तिजनक दस्तावेज, और फोन के सिम कार्ड बरामद किए हैं।

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आतंकी नेटवर्क फैलाने में शामिल
मुख्यमंत्री ने बीती रात मडिया से बाचतीच में कहा कि पुलिस ने जिहादियों से संबंध रखने वाले दो लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें से एक की पहचान सरगना के रूप में हुई है जो इमाम के रूप में सेवा करने के अलावा आतंकी नेटवर्क फैलाने में शामिल था।

उन्होंने कहा कि सरकार ने एक नई एसओपी बनाई है, जिसके अनुसार नागरिकों को राज्य के बाहर के इमाम के बारे में स्थानीय पुलिस को सूचित करना होगा, ताकि पुलिस अपना काम शुरू करने से पहले इमाम की पृष्ठभूमि की जांच कर सके।

पांच ‘जिहादी’ मॉड्यूल का भंडाफोड़
उन्होंने कहा कि वे एक पोर्टल लॉन्च करेंगे, जिसके माध्यम से बाहर के इमामों और निजी मदरसों के शिक्षकों को अपना पंजीकरण कराना होगा। उल्लेखनीय है कि अगस्त के शुरुआत में मुख्यमंत्री ने दावा किया था कि राज्य इस्लामी कट्टरपंथ का केंद्र बिंदु बन गया है और पिछले चार महीनों में बांग्लादेश के अलकायदा से संबद्ध आतंकवादी संगठन से जुड़े पांच ‘जिहादी’ मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया गया है।

उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बांग्लादेश से कम से कम छह एबीटी सदस्य 2016-2017 में अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर गए थे और स्थानीय युवाओं को ‘जिहादी’ की विचारधारा के बारे में शिक्षित करके असम में आतंकवादी मॉड्यूल और स्लीपर सेल बना रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनमें से एक बरपेटा जिला की एक मस्जिद में अरबी शिक्षक और इमाम के रूप में काम कर रहा था और पांच अन्य का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।

उन्होंने कहा कि सभी जिहादी गतिविधियों का केंद्र ‘मदरसा’ प्रतीत होता है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसे सामान्यीकृत नहीं किया गया है, लेकिन अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों का ‘मदरसे’ से कुछ संबंध है या वे मस्जिद में उपदेशक के रूप में काम कर रहे हैं।

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