पालघर: जमीन मिलने के बाद भी सरकारी अस्पताल का कार्य लटका,लाखों लोग इलाज के लिए भटकने को मजबूर

बोईसर में मरीजों को उपचार के लिए उस समय सबसे बड़ी परेशानी होती है, जब रात में किसी को उपचार जरूरत होती है।

116

कहने को तो जनता को स्वास्थ्य सुविधा केंद्र और महाराष्ट्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। पर इसे बोईसर नगरवासियों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि शहरी दर्जा मिलने के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद हैं। अगर कोई बीमार हो जाए तो इलाज के लिए लोगों को मोटी रकम खर्च कर प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ता है।

पच्चीस हजार की जनसंख्या वाले क्षेत्र में पीएचसी तथा 25 से 60 हजार की आबादी वाले क्षेत्र में सीएचसी और एक लाख से ऊपर वाले क्षेत्र में सिविल अस्पताल का दर्जा दिया जाता है मगर आश्चर्य की बात है कि बोईसर और आस पास की आबादी दो लाख से ज्यादा होने के बाद भी स्वास्थ्य सुविधा के मामले में गांव से भी बदतर है। जबकि यहां तारापुर औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण लाखों मजदूर और परिवार भी रहते है।

हालत ये है कि बोईसर क्षेत्र में एक भी आधुनिक सरकारी अस्पताल नहीं है। मरीजों को उपचार के लिए झोलाछाप की शरण में जाना पड़ता है। सरकारी सुविधा के लिए पालघर और गुजरात जाना पड़ता है। बोईसर में एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र संचालित हो रहा था, लेकिन अस्पताल जर्जर होने के बाद उसे बंद कर उसे टीमा के एक भवन से संचालित किया जा रहा है।

मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल के लिए निधि को सरकार ने अपनी स्वीकृति दी है। पीडब्ल्यूडी टेंडर करता है तो निधि जारी हो जायेगी।

वही पीडब्ल्यूडी के अधिकारी का कहना है कि अस्पताल से संबंधित प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को सौप दिया गया है।

वर्षो के संघर्ष के बाद अस्पताल के लिए मिली थी भूमि
बोईसर और आस पास के लोगों के वर्षो तक चले संघर्ष के बाद संजय नगर में डेढ़ एकड़ भूमि 30 बेड के ग्रामीण अस्पताल के लिए आरक्षित की गई थी। लेकिन अब पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एक दूसरे पर अस्पताल का काम लटकने का आरोप लगा रहे है।

मरीजों को उपचार के लिए उस समय सबसे बड़ी परेशानी होती है, जब रात में किसी को उपचार जरूरत होती है। इसके बाद य तो लोग निजी अस्पताल जाय या तो भगवान भरोसे ही बैठे। यहां की जनता स्वास्थ्य सुविधा की पीड़ा से जूझ रही हैं पर जिम्मेदार मौन साधे बैठे हैं।

जनता का दर्द :
बोईसर की निवासी तुलसी छीपा कहती है कि विडंबना यह है कि इतनी बड़ी आबादी के क्षेत्र में सरकारी सुविधा तो नदारद है। स्वयं सेवी अथवा जनप्रतिनिधि की भी आवाज उतनी नही उठ रही जितनी ज़रूरी है।विपिन पांडेय बताते हैं कि सरकारी दावे भले ही बड़े-बड़े किए जा रहे हो। लेकिन, हकीकत यह है कि बोईसर में अभी भी समुचित स्वास्थ्य सुविधा नदारद है। सिविल सर्जन संजय बोदाडे ने कहा कि सरकार ने अस्पताल के निर्माण के लिए करीब 20 करोड़ की निधि को स्वीकृति दी है। पीडब्ल्यूडी को अब अस्पताल के लिए टेंडर जारी करना चाहिए। अस्पताल के निर्माण में हो रही देरी के कारण प्रति वर्ष अस्पताल के निर्माण का खर्च बढ़ जाएगा।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.