Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की सैन्य शक्ति(military power of india) का प्रतीक बने आकाश और ब्रह्मोस(Aakash and Brahmos) के पराक्रम को स्कूलों के पाठ्यक्रम(School curriculum) में शामिल किया जाएगा । इसको लेकर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय(Union Ministry of Education) ने तैयारियां शुरू कर दी है। आकाश और ब्रह्मोस को भी चंद्रयान(Chandrayaan) की तर्ज पर पढ़ाया जाएगा ।
आकाश और ब्रह्मोस की शौर्य गाथा
भारत की रक्षा क्षमताओं को ऑपरेशन सिंदूर में पूरे विश्व ने देखा है । इस शौर्य गाथा को सभी भारतीय भाषाओं के माध्यम से स्कूलों में पढ़ाया जाएगा । ये विषय स्कूलों में बैगलेस डे यानी बिना बस्ते वाले दिनों की अवधि के दौरान पूरे रोचक तरीके से पढ़ाया जाएगा । वर्तमान में स्कूलों में कम से कम 15 दिन बगैर बस्ते वाले दिन आयोजित करने के निर्देश है । केंद्रीय विद्यालय और नवोदय में एक सप्ताह में एक दिन का बैगलेस डे रखा जाता है ।
राष्ट्रीय सुरक्षा और देशभक्ति की भावना को मिलेगा बल
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भारत की सैन्य शक्ति में शोध को बढ़ावा देने के लिए भी नई नीति बना रहा है । पीएम फंड में भी जरूरी बदलाव लाए जा रहे है । शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रोचक तरीके से पढ़ाने के कारण चंद्रयान का विषय लोकप्रिय बन चुका है । ऐसे में ब्राह्मोस और आकाश जैसी मिसाइलों के विषय को पढाने से बच्चों में देशभक्ति का बीजा रोपण हो सकेगा
ब्रह्मोस और आकाश की रफ्तार
ब्रह्मोस की रफ्तार 9878 किलोमीटर प्रति घंटा है । जबकि ब्रह्मोस की रेंज 400 किलोमीटर है । और इस मिसाइल वजन 1290 किलोग्राम है । लंबाई 8.4 मीटर है । जबकि 3000 किलोग्राम वजन ले जा सकती है । आकाश की रफ्तार 80 किलोमीटर प्रति घंटा है।