देश की आर्थिक राजधानी मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई को अब बिजली कटने की टेंशन से मुक्ति मिल जाएगी। अखंडित बिजली आपूर्ति के लिए अत्याधुनिक ”मुंबई ऊर्जा मार्ग” को आकार दिया जा रहा है। इस बिजली लाइन का काम 2023 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।
इस योजना के तहत पड़घा में सेंट्रल पावर ग्रिड पावर स्टेशन से खारघर पावर सबस्टेशन तक 70 किमी लंबी 400 केवी डबल सर्किट हाई वोल्टेज पावर लाइन बिछाने का निर्णय लिया गया है। महाराष्ट्र सहित पूरे देश से मुंबई में एक हजार मेगावाट से अधिक बिजली ले जाना संभव होगा। इसके लिए स्टरलाइट कंपनी ने पूरी तैयारी कर ली है।
बढ़ रही है बिजली की मांग
मुंबई में बिजली की वर्तमान अधिकतम मांग 3500 मेगावाट है और यह दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही ठाणे और नवी मुंबई में भी बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। बता दें कि पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में ग्रिड में तकनीकी खराबी के कारण मुंबई, ठाणे और नवी मुंबई के कई हिस्सों में ब्लैकआउट हो गया था। इसे राज्य सरकार के साथ केंद्रीय ऊर्जा विभाग ने गंभीरता से लिया है।
डबल सर्किट बिजली लाइन के काम में तेजी
राज्य सरकार ने जहां खारघर -विक्रोली 400 केवी डबल सर्किट बिजली लाइन के काम में तेजी लाई है, वहीं अब 400 केवी बिजली लाइन पड़घा में सेंट्रल पावर ग्रिड के 765 केवी सबस्टेशन से खारघर में महापारेषण के 400 केवी सबस्टेशन तक लाई जाएगी। इसलिए पूरे देश से बिजली खारघर बिजली सबस्टेशन तक आसानी से पहुंच जाएगी और वहां से खारघर विक्रोली हाई वोल्टेज बिजली लाइन के जरिए मुंबई पहुंचाना आसान होगा। कंपनी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर निनाद पिटाले के मुताबिक सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) ने पड़घा -खारघर, पड़घा- नवी मुंबई और आप्टा-कलवा में हाई वोल्टेज पावर लाइन बिछाने के लिए स्टरलाइट पावर को काम दिया है।
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खारघर बिजली सबस्टेशन पर अतिरिक्त दबाव होगा कम
मुंबई सहित क्षेत्र को अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति के लिए, स्टरलाइट पावर मुंबई ऊर्जा मार्ग के तहत तीन डबल सर्किट बिजली लाइनें स्थापित करेगी। इसके अनुसार पड़घा -खारघर 70 किमी डबल सर्किट हाई वोल्टेज पावर लाइन होगी। साथ ही इसी बिजली लाइन को आपस में जोड़कर नवी मुंबई में 19 किलोमीटर 400 केवी बिजली लाइन लाई जाएगी। आपता-कलवा एक किमी लंबी 220 केवी बिजली लाइन होगी। इससे खारघर बिजली सबस्टेशन पर अतिरिक्त दबाव कम होगा।
वर्तमान स्थिति
मुंबई की मौजूदा बिजली की अधिकतम मांग करीब साढ़े तीन हजार मेगावाट है। इसे पूरा करने के लिए टाटा पावर को करीब 1400 मेगावाट और अडाणी के डहानू पावर स्टेशन को 500 मेगावाट बिजली लगती है। 1600 मेगावाट से अधिक बिजली महापारेषण, टाटा और अन्य बिजली लाइनों के माध्यम से प्रेषित की जाती है।