इस बार 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस के मौके पर आयोजित परेड में कोई भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष मुख्य अतिथि के रुप में नहीं शामिल होगा। कोरोना महामारी की वजह से यह निर्णय लिया गया है। इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने जानकारी दी। पिछले पांच दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब 26 जनवरी के अवसर पर आयोजित परेड में कोई भी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष नहीं आ रहे हैं।
इससे पहले भी तीन बार हो चुका है ऐसा
1966 में कोई भी विदेशी मेहमान गणतंत्र दिवस परेड में मुख्य अतिथि के रुप में नहीं आया था। इसका कारण यह था, कि इसी वर्ष 11 जनवरी को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का निधन हो गया था। उसके बाद गणतंत्र दिवस से ठीक दो दिन पहले यानी 24 जनवरी को इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थीं। इससे पहले 1952 और 1953 में भी परेड में कोई विदेशी मुख्य अतिथि के रुप में नहीं आया था।
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ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन थे चीफ गेस्ट
बता दें कि इस वर्ष ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस के परेड में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने भारत सरकार के इस निमंत्रण को स्वीकार भी कर लिया था, लेकिन इस बीच वहां कोरोना के नये स्ट्रेन मिलने और संक्रमण बढ़ जाने के कारण उन्होंने अपना दौरा रद्द कर दिया। हालांकि निमंत्रण को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा था कि ये उनके लिए गर्व की बात है। दिसंबर में भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के विदेश सचिव डॉमिनिक राब ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात की थी।
दिखेगा कोरोना का असर
इसके साथ ही कोरोना का असर इस वर्ष के गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड में भी देखने को मिलेगा। इस बार कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा-पूरा पालन किया जाएगा। इसलिए एनएसजी कमांडो परेड में एक-दूसरे से 1.5 मीटर से अधिक दूरी पर मार्च करेंगे। इससे पहले वे राजपथ पर कंधे से कंधा मिलाकर चलते थे। बिना किसी चूक के मार्च करने के लिए एनएसजी कमांडों हर दिन पांच घंटे अभ्यास कर रहे हैं।
इसी दिन लागू किया गया था देश का संविधान
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू किया गया था। उसके बाद से इस दिन को गणतंत्र दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस मौके पर देश की राजधानी दिल्ली में राजपथ पर देश की सैन्य शक्ति के साथ सांस्कृतिक विधिधता का प्रदर्शन किया जाता है। इस मौके पर हर वर्ष विदेशी राष्ट्रध्यक्ष को मुख्य अतिथि के रुप में आमंत्रित करने की परंपरा रही है। कई परेड में एक से अधिक मुख्य अतिथि भी शामिल होते रहे हैं।