एसडीजी रिपोर्ट 2020-21: जानिये, किस राज्य ने मारी बाजी और कौन रहा फिसड्डी!

नीति आयोग ने एसडीजी इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21 का तीसरा संस्करण जारी कर दिया है। इससे किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विकास की रफ्तार का पता लगता है।

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नीति आयोग ने विकास के मापदंडो पर आधारित एसडीजी इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21 का तीसरा संस्करण जारी कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार केरल एक बार फिर इसमें प्रथम स्थान प्राप्त करने में सफल रहा है, जबकि बिहार पहले की तरह ही इस सूची में सबसे अंत में है। इसका मतलब यह है कि बिहार का प्रोग्रेस रिपोर्ट और प्रदर्शन बेहद खराब है। ये रिपोर्ट राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की आर्थिक और पर्यावारणीय व्यवस्था का आकलन करते हुए तैयार की गई है।

इस रिपोर्ट में राज्यों के साथ ही केंद्र शासित प्रदेशों को भी शामिल किया गया है। इसमें केरल ने 75 अंक प्राप्त किए हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु को 74-74 अंक हासिल हुए हैं। दे दोनों राज्य दूसरा स्थान हासिल करने में सफल रहे हैं। सबसे खबरा प्रदर्शन करनेवालों में बिहार के साथ ही उसका पड़ोसी राज्य झारखंड भी शामिल है।

ये होते हैं मापदंड
वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट में 13 गोल, 39 टार्गेट और 62 इंडीकेटर्स शामिल थे, जबकि 2019-20 में 17 गोल,54 टार्गेट और 100 इंडीकेटर्स को इसका मापदंड बनाया गया था। वर्तमान रिपोर्ट में 17 गोल,70 टार्गेट और 115 इंडीकेटर्स को राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के विकास का पैमाना माना गया है।

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2018 में की गई थी शुरआत
इसकी शुरुआत 2018 में की गई थी और वर्तमान में इसका तीसरा वर्ष है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन लक्ष्यों की पाप्ति के आधार पर रैंकिग दी जाती है। देश में सतत विकास के लक्ष्यों को पाने की दिशा में ये एक प्राइमरी टूल माना जाता है। इसके माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आपसी प्रतियोगिता बढ़ती है और इनके आगे आने की चाहत से देश विकास की राह पर अग्रसर होता है।

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नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने की जारी 
नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर राजीव कुमार ने एसडीजी इंडिया इंडेक्स एंड डैशबोर्ड 2020-21:पार्टनरशिप इन द डिकेड ऑफ एक्शन के नाम से इस रिपोर्ट को जारी किया। इस अवसर पर नीति आयोग के( स्वास्थ्य) सदस्य डॉक्टर वीके पॉल, सीईओ अमिताभ कांत और एसडीजी की सलाहकार संयुक्ता समदर भी उपस्थित थे।

ऐसे तैयार की जाती है रिपोर्ट
इस रिपोर्ट को इसके प्राइमरी स्टेकहोल्डर, जिसमें राज्य व केंद्र शासित प्रेदेश शामिल होते हैं, भारत में मौजूद संयुक्त राष्ट्र की एजेंसिया, केंद्रीय मंत्रियों और सांख्यिकी तथा कार्यान्वयन मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श कर तैयार किया जाता है।

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