भारतीय मुसलमानों की सऊदी में नो एंट्री!

सऊदी सरकार ने बाहर के मुसलमानों के लिए काफी कठोर रुख अपनाया है।

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दुनिया भर के मुसलमानों के सबसे पवित्र स्थान मक्का मदीना सऊदी अरब में स्थित है। अब सऊदी सरकार ने बाहर के मुसलमानों के लिए काफी कठोर रुख अपनाया है। उसने फतवा जारी किया है कि अगर आपको हज यात्रा पर आना है तो पहले कोरोना का टीका लेना होगा। इसके साथ ही उसका सबूत भी साथ लाना होगा। उस सबूत को दिखाने के बाद ही यहां प्रवेश दिया जाएगा। सऊदी सरकार ने विश्व भर के मुसलमानों के लिए ये फरमान जारी किया है।

दूसरी ओर भारत के कई मुसलमान टीकाकरण को हराम और इस्लामविरोधी बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में भारत के मुसलमानों के लिए सऊदी सरकार ने बड़ी परेशानी खड़ी कर दी है। भारतीय मुसलमानों ने इस मामले को लेकर सऊदी सरकार को इस्लामविरोधी बताया है और उसके इस फरमान का विरोध किया है।

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया फरमान
सऊदी अरब के स्वास्थ्य विभाग के मंत्री अल रबिया ने 2 मार्च तो कहा है कि हज यात्रा के लिए जिन मुसलमानों को यहां आना है, उन्हें कोरोना टीका लगवाना अनिवार्य है। इसके साथ ही यहां आने पर उन्हें उसका सबूत भी दिखाना होगा। इसके बिना उन्हें यहां प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

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17 जुलाई से हज यात्रा
बता दें कि 17 जुलाई से हज यात्रा शुरू होने जा रही है। दुनिया भर में कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सऊदी सरकार ने ये निर्णय लिया है। सऊदी सरकार ने अपने नागरिकों के लिए कोरोना टीककरण शुरू किया है

इसलिए जारी किया गया फरमान
बता दें कि पिछले वर्ष कोराना संक्रमण की वजह से मात्र एक हाजर लोगों को ही हज यात्रा के लिए प्रवेश दिया गया था। फिलहाल अब तक सऊदी अरब में 3 लाख 77 हजार 700 कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 6 हजार 500 लोगों की मौत हो गई है।

भाजपा ने की आलोचना
सऊदी अरब सरकार ने अपनी मानसिकता में बदलाव लाते हुए इस मामले में आधुनिक विचारों को अपनाया है। वहीं भारत के कुछ मुसलमान इसे धार्मिक रंग देने में लगे हुए हैं। वे मुसलमानों से टीका नहीं लगवाने का आह्वान कर रहे हैं।  इस आह्वान को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने उनकी कड़े शब्दों में आलोचना की है। भाजपा ने कहा है कि जिन मुसलमानों को टीकाकरण का विरोध है, वे खुशी से पाकिस्तान जा सकते हैं।

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रजा अकेडमी ने किया विरोध
पूरी दुनिया के लोग कोरोना संक्रमण से बचने के लिए टीका लगवाने हेतु बेचैन हैं। ऐसे में भारत के कई प्रदेश के कुछ मुसलमानों ने इसका विरोध किया है। मुंबई के रजा अकेडमी ने इसका सबसे ज्यादा विरोध किया है। उसके बाद उत्तर प्रदेश के देवबंदी उलेमा के मौलाना करी इष्क गोरा ने भी इसका विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि टीका बनाने में कौन-कौन से पदार्थों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जब तक ये खुसाला नहीं किया जाता, तब तक मुसलमान टीका न लगवाएं।
रजा अकेडमी का आरोप

  • कोरोना टीका बनाने के लिए सुअर का मांस इस्तेमाल किया जाता है, जो मुसलमानों के लिए हराम है।
  • इससे पहले भी मुसलमानों ने पोलियो के टीके को इस्लामविरोधी बताते हुए इसका विरोध किया था।
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