मेरठ के मंगतपुरम में 400 हिन्दुओं को ईसाई बनाने के प्रकरण में फंडिंग के सुबूत पुलिस को मिले हैं। इनमें से मेरठ के दो भाईयों अनिल मसीह और बसंत मसीह के बैंक खातों में फंडिंग का पैसा आया।
ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के मंगतपुरम में कोरोना काल में लोगों की सहायता करके उन्हें जबरन ईसाई बनाने का मामला गर्माता जा रहा है। 400 हिन्दुओं को ईसाई बनाने के मामले में पुलिस लगातार जांच कर रही है। जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे ही नए खुलासे हो रहे हैं। मतांतरण के इस मामले में करोड़ों रुपए की फंडिंग हुई।
की जा रही है अनिल पास्टर के बैंक खातों की जांच
पुलिस का कहना है कि इसमें मेरठ के अनिल मसीह और बसंत मसीह का नाम सामने आया है। 2012 में इन दोनों ईसाई धर्म अपना लिया था और गुरुग्राम के मशीनरी स्कूल में प्रशिक्षण लेने के बाद अन्य लोगों का मतांतरण कराने में लगे थे। पुलिस इन दोनों के बैंक खातों को खंगाल रही है। अभी तक इन दोनों के खातों में 80 हजार रुपए आने का रिकॉर्ड मिला है। अब पुलिस ने गुरुग्राम के स्कूल के मामले की जांच भी शुरू कर दी है कि वहां से अनिल और बसंत मसीह की मदद करने वाले कौन लोग हैं। एसएसपी रोहित सजवाण का कहना है कि अनिल मसीह और बसंत मसीह के बैंक खातों में रुपए आए हैं। अब अनिल पास्टर के बैंक खातों की भी जांच की जा रही है।
भाजपा ने लगाया आरोप
गौरतलब है कि भाजपा के महानगर मंत्री दीपक शर्मा के साथ मंगतपुरम के लोगों ने एसएसपी रोहित सजवाण से शिकायत करके जबरन ईसाई बनाने के आरोप लगाए थे। मंगतपुरम में अस्थायी चर्च भी बनाया गया है। जहां पर लोगों को प्रार्थना कराई जाती थी। ईसाई बनाए गए लोगों के घरों से हिन्दू देवी-देवताओं की तस्वीरें भी उतार कर फेंक दी गई। इस मामले में महेश पास्टर, अनिल पास्टर समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इनमें से कई लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। फरार लोगों को पुलिस तलाशने में जुटी है। मतांतरण करने वाले लोगों ने लालच में आकर अस्थायी चर्च में प्रार्थना करने की बात स्वीकार की है।