मनपा लेगी तीन सौ करोड़ की सलाह!

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की गणना अंतरराष्ट्रीय स्तर के शहरों में होती है। शहर समुद्री किनारों से घिरा है। जनसंख्या बढ़ी तो रिक्लेम लैंड पर शहर ने पैर पसार लिया। लेकिन इस प्रक्रिया में शहर से निकलनेवाले मल जल पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। नाले, गटर बने और उनसे वो जल सीधे समुद्र में विसर्जित किया जा रहा है।

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मुंबई महानगरपालिका एक सलाह के लिए तीन सौ करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। यह सलाह शहर के मल जल शुद्धीकरण को लेकर है। छह मल जल शुद्धीकरण प्रकल्प निर्माण के लिए निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें संकल्प चित्र, निर्माण और संचालन कार्य की देखरेख के लिए सलाहकार की नियुक्ति के लिए यह भारी भरकम खर्च किया जाना है।

महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की गणना अंतरराष्ट्रीय स्तर के शहरों में होती है। शहर समुद्री किनारों से घिरा है। जनसंख्या बढ़ी तो रिक्लेम लैंड पर शहर ने पैर पसार लिया। लेकिन इस प्रक्रिया में शहर से निकलनेवाले मल जल पर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। नाले, गटर बने और उनसे वो जल सीधे समुद्र में विसर्जित किया जा रहा है। इससे समुद्र में प्रतिदिन 655 मीलियन लीटर (2018 का एमपीसीबी आंकड़ा जो एनजीटी को दिया गया था) प्रदूषित जल सीधे समुद्र में मिल रहा है। इस प्रदूषित जल का वैज्ञानिक पद्धति से शुद्धिकरण करने के लिए एक योजना 2002 में बनी थी। जिसके अनुसार शहर में सात मल जल शुद्धीकरण प्रकल्पों का निर्माण किया जाना था। लेकिन ये पिछले 18 वर्षों से तकनीकी, वैधानिक और प्रशासनिक स्तर पर विलंबित होती रहीं। दो बार इसकी निविदा निकाली गई। लेकिन तकनीकी आधार पर इसे रद्द करना पड़ा। जिसके कारण योजना तो 18 साल की हो गई लेकिन वास्तविक रूप में अब तक नहीं दिख पाई है।

140 करोड़ रुपए की सलाह व्यर्थ

मुंबई महानगरपालिका राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेशों के अनुसार शहर में मल जल शुद्धिकरण के लिए सात प्रकल्प बनाने की योजना शुरू हुई थी। यह प्रकल्प कुलाबा, भांडुप, घाटकोपर, वर्सोवा, बांद्रा, धारावी और मालाड में बैठाए जाने थे। जिसके लिए 2008 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी पुनरुत्थान अभियान के अंतर्गत कार्य किया जाना था। इसके लिए सलाहकर की नियुक्ति करके प्रकल्प की रूप रेखा बनाकर केंद्रीय एजेंसियों के पास आवश्यक अनुमतियों के लिए भेज दी गई थीं। सलाहकर ने उस समय इस कार्य के लिए 140 करोड़ रुपए का सेवा शुल्क लिया था। लेकिन धरातल पर प्रकल्प निर्माण की दिशा में 140 पैसों का कार्य भी नहीं हुआ। इसको लेकर कैग (कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल) ने भी गंभीर टिप्पणियां की थीं।

क्या करेंगे 300 करोड़ के सलाहकार?

  • प्रकल्प ठेकेदार के कागजों की जांच
  • ठेके के अंतर्गत किये जानेवाले कार्यों की निगरानी
  • कार्य निष्पादन में आनेवाली त्रुटियों और परेशानियों का निवारण
  • प्रकल्प सरलीकरण के लिए नियोजन
  • कार्य प्रगति की रिपोर्ट बनाना

ये हैं करोड़ों के सलाहकर

बांद्रा मल जल प्रकल्प – वीआईएल स्वीडिश एनवायरमेंटल रीसर्च इंस्टिट्यूट लिमिटेड
सलाह शुल्क – 64.98 करोड़ रुपए

धारावी मल जल प्रकल्प – टाटा कंन्सल्टिंग इंजीनियरिंग
सलाह शुल्क – 53.04 करोड़ रुपए

वरली मल जल प्रकल्प – वीआईएल स्वीडिश एनवायरमेंट्ल रीसर्च
सलाहकार शुल्क – 76.06 करोड़ रुपए

मालाड मल जल प्रकल्प – टाटा कंन्सल्टिंग इंजीनियरिंग
सलाहकार शुल्क – 55.25 करोड़ रुपए

वर्सोवा मल जल प्रकल्प – टाटा कंन्सल्टिंग इंजीनियरिंग
सलाहकार शुल्क – 19.07 करोड़ रुपए

घाटकोपर मल जल प्रकल्प – टाटा कंन्सल्टिंग इंजीनियरिंग
सलाहकार शुल्क – 35.39 करोड़ रुपए

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