अब कृष्ण जन्मभूमि पर निर्णय शीघ्र, न्यायालय ने मानी वह बात

आयोध्या, काशी और मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि का प्रकरण लंबे काल से प्रलंबित है। हिंदू पक्ष मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा खंडित किये गए अपने देवस्थानों को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए संघर्ष कर रहा है।

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मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर मस्जिद के कब्जे को लेकर हिंदू पक्ष की मांग पर सुनवाई मथुरा जिला न्यायालय में शीघ्र शुरू होगी। इस संबंध में दायर याचिका की सुनवाई करने के लिए न्यायालय ने मान्य किया है। याचिका में शाही ईदगाह मस्जिद की वीडियोग्राफी कराने की मांग की गई है।

हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ता मनीष यादव, महेंद्र प्रताप सिंह और दिनेश शर्मा ने याचिका के माध्यम से मांग की है कि, तत्काल कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति की जाए, जिनके अधीन शाही ईदगाह मस्जिद की वीडियोग्राफी की जा सके। याचिकाकर्ताओं के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मस्थली की 13.37 एकड़ भूमि पर बने मंदिर के एक हिस्से का विध्वंस करके मस्जिद का निर्माण किया गया है। जिसे बाद में शाही ईदगाह मस्जिद के नाम से लोग जानने लगे। इसलिए याचिका में मांग की गई है कि मस्जिद को हटाकर उस भूमि को श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर को सौंपा जाए।

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उच्च न्यायालय का आदेश
12 मई, 2022 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा स्थानीय न्यायालय को आदेश दिया है कि, वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित सभी प्रकरणों की सुनवाई पूरी करके चार माह में आदेश दे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में श्रीकृष्ण जन्मभूमि से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई शीघ्र पूरी करके आदेश देने की मांग की गई है। उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि, इस प्रकरण में यदि सुन्नी वक्फ बोर्ड या अन्य संबंधित पक्ष न्यायालय की सुनवाई में हिस्सा नहीं लेते या प्रकरण को लंबित करने का प्रयत्न करते हैं तो एकतरफा आदेश दिया जाए। मथुरा जिला न्यायालय में कुल नौ प्रकरण दायर किये गए हैं, जिसमें आदेश आना है। वहीं, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में यह प्रकरण नारायणी सेना के अध्यक्ष मनीष यादव ने दायर किया है।

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