ताकि न थमे जिंदगी! महाराष्ट्र को मिली प्राण वायु की पहली खेप

कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के साथ ही ऑक्सीजन की मांग भी तेजी से बढ़ी है। दिल्ली में इसके लिए हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों में संक्रमित ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे हैं। ऐसे कठिन समय में भारतीय रेल, वायु सेना और नौसेना पूरी तन्मयता से देश विदेश से ऑक्सीजन और ऑक्सीजन प्लांट को पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं।

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रेलवे ऑक्सीजन एक्सप्रेस की अपनी योजना पर कार्य करते हुए इसे अब सफल भी कर रहा है। जिसका परिणाम समक्ष है। महाराष्ट्र को ऑक्सीजन एक्सप्रेस के माध्यम से पहला लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन का खेप मिला। इसके लिए कलंबोली से विशाखापट्टणम तक और वापस नासिक तक पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस का सफलता पूर्वक संचालन किया गया।

कठिन काल में काम बेमिसाल
रेलवे की मुंबई टीम कलंबोली में केवल 24 घंटे में रैंप बनाया है। इसके अलावा रो-रो सेवा के आवागमन के लिए रेलवे को कुछ स्थानों पर घाट सेक्शन, रोड ओवर ब्रिज, टनल, कर्व्स, प्लेटफॉर्म कैनोपीज, ओवर हेड इक्विपमेंट आदि विभिन्न बाधाओं पर विचार करते हुए पूरे मार्ग का एक खाका तैयार करना था, क्योंकि इस मूवमेन्ट में ऊंचाई एक महत्वपूर्ण पहलू है, रेलवे ने वसई के रास्ते मार्ग का खाका तैयार किया। जिसमें 3320 मिमी की ऊंचाई वाले सड़क टैंकर T1618 के मॉडल को फ्लैट वैगनों पर रखे जाने के लिए सक्षम पाया। चूंकि, ऑक्सीजन क्रायोजेनिक और खतरनाक रसायन है, इसलिए रेलवे को अचानक एक त्वरण, मंदी से बचना पड़ता है, बीच-बीच में प्रेशर की जांच करनी पड़ती है, खासकर जब यह भरी हुई स्थिति में हो।

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प्रबंधन और ग्रीन कॉरीडोर ने दूरी कम की
कलंबोली और विविशाखपट्टणम के बीच की दूरी 1850 किमी से अधिक है, जो इन टैंकरों द्वारा केवल 50 घंटों में पूरी की गई थी। 100 से अधिक टन एलएमओ (लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन) वाले 7 टैंकरों को 10 घंटे में लोड किया गया और केवल 21.00 घंटे में वापस नागपुर ले जाया गया। रेलवे ने नागपुर में 3 टैंकरों को उतार दिया है और शेष 4 टैंकर शनिवार सुबह 10.25 बजे नासिक पहुंच गए हैं, यानि नागपुर से नासिक का अंतर केवल 12 घंटे में पूरा किया।

सड़क मार्ग से तेज है रेलवे की ऑक्सीजन एक्सप्रेस
ट्रेनों के माध्यम से ऑक्सीजन का परिवहन, सड़क परिवहन की तुलना में लंबा है परंतु जलद है। रेलवे द्वारा परिवहन में दो दिन लगते है जबकि सडक मार्ग द्वारा 3 दिन लगते हैं। ट्रेन दिन में 24‌ घंटे चलती है, ट्रक ड्राइवरों को रोड पर रुकने की आवश्यकता होती है। इन टैंकरों की तेज गति के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है और आवाजाही की निगरानी शीर्ष स्तर पर की गई। रेलवे ने आवश्यक वस्तुओं का परिवहन किया और पिछले साल लॉकडाउन के दौरान भी आपूर्ति श्रृंखला को बरकरार रखा और आपात स्थिति में राष्ट्र की सेवा जारी रखी है।

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