टुकड़े टुकड़े-2: जेएनयू में वामपंथी छात्रों ने देखी बीबीसी की ‘वह’ डॉक्यूमेंट्री, मचाया बवाल

बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर जेएनयू प्रशासन ने रोक लगा दी थी। इसके बावजूद वामपंथी छात्र संगठन से जुड़े छात्र 24 जनवरी की रात नौ बजे छात्र छात्रसंघ कार्यालय पर स्क्रीनिंग के लिए जमा हो गए थे।

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जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में एक बार फिर टुकड़े-टुकड़े गैंग के चलते बवाल मच गया। यहां विश्वविद्यालय प्रशासन की मनाही के बाद भी वामपंथी यूनियन के छात्रों ने बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री को 24 जनवरी की रात को देखा। टुकड़े-टुकड़े भाग दो को अंजाम देनेवाले इन छात्रों ने उलट प्रशासन को आरोपों के घेरे में खड़ा किया है कि, उसने विश्वविद्यालय में बिजली और इंटरनेट कनेक्शन काट दिया था। इन छात्रों पर पथराव का भी आरोप लगा है।

बिना अनुमति के स्क्रीनिंग
वामपंथी छात्रों ने बिना अनुमति के सरकार द्वारा प्रतिबंधित बीबीसी की ‘इंडिया:द मोदी क्वेश्चन’ डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रखी थी। छात्रों का आरोप है कि स्क्रीनिंग से पहले ही यहां बिजली काट दी गई। इसके बाद छात्र मोबाइल और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखने लगे। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने पथराव का आरोप एबीवीपी से जुड़े छात्रों पर लगाया है। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। जबकि, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन के मना करने के बाद भी एसएफआई से संबद्ध छात्र संघ की नेता आइशी घोष ने प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की और उनकी यूनियन से जुड़े छात्रों ने पथराव भी किया।

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बवाल की क्या है वजह?
दरअसल, जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष आइशी घोष ने केंद्रीय कार्य समिति के निर्देश पर बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया था और स्क्रीनिंग को लेकर सोशल मीडिया पर प्रचार के साथ परिसर में पैम्फलेट बांटे गए थे। जिसके बाद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर जेएनयू प्रशासन ने रोक लगा दी थी। इसके बावजूद वामपंथी छात्र संगठन से जुड़े छात्र डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर अड़े रहे। 24 जनवरी की रात नौ बजे छात्र छात्रसंघ कार्यालय पर स्क्रीनिंग के लिए जमा हो गए थे। इस दौरान परिसर की बिजली काट दी गई। जिसके बाद छात्रों ने मोबाइल और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखी। बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री को देख रहे छात्रों पर पथराव की भी खबर है।

केंद्र सरकार लगा चुकी है प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने भी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर नए आईटी नियमों के तहत प्रतिबंध लगाया है। जेएनयू से पहले केरल में सत्तारूढ़ सीपीएम से जुड़े छात्र संगठन एसएफआई समेत कई दलों ने कई जगहों पर प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्‍क्रीनिंग की। हैदराबाद यूनिवर्सिटी में भी छात्रों के एक समूह ने बीबीसी की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्‍क्रीनिंग की। इस पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने रिपोर्ट मांगी है।

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टुकड़े टुकड़े है वामपंथी जहर
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में वर्ष 2016 में देश विरोधी नारे लगे थे। इसमें संसद भवन पर आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु के समर्थन में वामपंथी छात्रों ने नारे लगाए थे। इस प्रकरण में दिल्ली पुलिस की 1200 पन्नों के प्राथमिक आरोप पत्र में आठ वीडियो भी थे, जिसमें तत्कालीन छात्र संघ नेता उमर खालिद दिखा था, जो अन्य छात्रों के साथ मिलकर नारे लगा रहा था। आरोप था कि, इसमें तत्कालीन वामपंथी छात्र संघ का नेता कन्हैया कुमार भी शामिल था। इन लोगों ने नारे लगाए थे, हम क्या चाहतें, आजादी… हम क्या चाहते, आजादी… अफजल तेरे खून से, इंसाफ आएगा। अफजल तेरे खून से, इंसाफ आएगा। अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं। अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं। भारत तेरे टुकड़े होगें, इंशा अल्लाह , भारत तेरे टुकड़े होगें , इंशा अल्लाह ,इंशा अल्लाह.. 9 फरवरी 2016 को आतंकी अपजल गुरु के समर्थन में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें देश विरोधी नारे लगे थे। जेएनयू में वामपंथी छात्र संघ नित्य देश विरोधी कार्यों को करता रहता है, जिसकी रसद आपूर्ति वामपंथी शासित राज्यों से होती रही है।

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