लोग क्यों करते हैं आत्महत्या, श्री श्री रवि शंकर ने बताया कारण

दुनिया में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। यूएस में पिछले साल 400 डॉक्टरों ने आत्महत्या की है।

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दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में 3 मार्च को ‘हर घर ध्यान’ कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें ध्यान एवं मानसिक स्वास्थ्य पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक पद्म विभूषण श्री श्री रवि शंकर ने मुख्यातिथि के तौर पर व्याख्यान देते हुए कहा कि डिग्री लेना और नौकरी लगना ही जीवन का लक्ष्य नहीं होना चाहिए, जीवन को विशाल दृष्टिकोण से देखें। जीवन का विशाल दृष्टिकोण न होने पर लोग आत्महत्या की ओर बढ़ते हैं।

इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विशिष्ट अतिथि के तौर पर बोलते हुए कहा कि जब हम कुछ करने की बजाए कुछ बनने के बारे में सोचने लगते हैं तो हमारी शक्ति कम हो जाती है।

दिल्ली विश्वविद्यालय खेल परिसर के बहुउद्देशीय सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह द्वारा की गई।

इस कारण लोग करते हैं आत्महत्या
कार्यक्रम के दौरान अपने व्याख्यान में श्री श्री रवि शंकर ने कहा कि जब हम सिर्फ अपने बारे में सोचने लगते हैं और सबसे कट जाते हैं तो डिप्रेशन का दरवाजा खुलता है। उन्होंने बताया कि हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। यूएस में पिछले साल 400 डॉक्टरों ने आत्महत्या की है। इसका कारण है कि हमने बहुत साल तक मानसिक आरोग्यता पर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भारत का युवा भारत का ही नहीं अपितु दुनिया का भविष्य है। अमेरिका में नासा जैसी संस्था में 34 प्रतिशत वैज्ञानिक भारतीय हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया के 108 विश्वविद्यालयों में सुदर्शन क्रिया योग के क्रेडिट मिलते हैं जिनमें डीयू भी शामिल हो चुका है। इसके साथ ही उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से अनुरोध किया कि अगर कोई तनावग्रस्त व्यक्ति नज़र आए तो उससे बात जरूर करें। ऐसे माहौल का निर्माण करें कि दुखी व्यक्ति का दुख दूर हो। इस अवसर पर उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ‘हर घर ध्यान’ कार्यक्रम की शुरुआत के लिए कुलपति सहित सभी को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि आर्ट ऑफ लिविंग संस्था के सभी सदस्य इससे जुड़कर काम करेंगे। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने उपस्थित लोगों को 10 मिनट ध्यान का अभ्यास भी करवाया।

मुख्यमंत्री खट्टर ने दी बधाई
हरियाणा के मुख्यमंत्री और डीयू के पूर्व छात्र मनोहर लाल खट्टर ने अपने संबोधन के दौरान इस आयोजन के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उस समय कुछ तनाव नहीं होता जब हम यह सोचते हैं कि कुछ करना है, बल्कि तनाव तो तब होता है जब हम सोचने लगते हैं कि क्या बनना है। उन्होंने बताया कि 1972 से 1980 तक वह दिल्ली में रहे और यहीं से जीवन को देश सेवा की दिशा मिली। 1980 में आरएसएस का प्रचारक बनने के बाद कभी उन्हें तनाव नहीं हुआ। उन्होंने विद्यार्थियों को संदेश देते हुए कहा कि अगर प्रारंभिक जीवन में ही दिशा तय कर लोगे तो आगे बीमारियों से बचे रहोगे। उन्होंने कहा कि छोटी सोच की बजाए बड़ी सोच वाले रास्ते अपनाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान का युग हथियार बनाने की विधि बताता है, लेकिन अगर सूझबूझ से काम नहीं लिया तो यही हथियार विध्वंस का कारण बनेंगे।

कार्यक्रम की शुरुआत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने श्री श्री रवि शंकर और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का स्वागत किया। कुलपति ने मानसिक तनाव को लेकर विश्व और भारत के आंकड़े सांझा करते हुए बताया कि आज के समय में तनाव बहुत बड़ी समस्या है। उन्होंने कहा कि ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य का विषय मानवता के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कामना करते हुए कहा कि भारत इसके द्वारा विश्व को निरोगी होने की राह दिखाएगा।

कार्यक्रम में पहुंचे हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने डिग्री भी प्रदान की।

खट्टर रहे हैं डीयू के विद्यार्थी
उल्लेखनीय है कि मनोहर लाल खट्टर दिल्ली विश्वविद्यालय के एसओएल के विद्यार्थी रहे हैं। खट्टर ने बताया कि 1972 में उन्होंने डीयू से ग्रेजुएशन की थी। 47 वर्ष बाद डिग्री मिलने पर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री बनने के पश्चात वह अपने गांव के प्राथमिक स्कूल, हाई स्कूल और रोहतक के कॉलेज तो गए, लेकिन उनका सपना था कि अपनी मातृ संस्था दिल्ली विश्वविद्यालय में भी एक बार जरूर जाएं। आज उन्हें यहां पहुंचने पर अपनेपन का एहसास हो रहा है। इसके लिए उन्होंने डीयू प्रशासन का आभार भी प्रकट किया।

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