Kumbh Mela: क्या नासिक में आयोजित होने वाला कुंभ मेला प्रयागराज के महाकुंभ मेले की तरह होगा सफल? बड़ा सवाल

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Kumbh Mela: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में नासिक में आयोजित बैठक में कुंभ मेले की रूपरेखा तय की गई।  मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक्‍स पर एक पोस्‍ट में लिखा, “त्र्यंबकेश्वर, नासिक में होने वाले सिंहस्थ कुंभ मेले 2027 की पूर्व तैयारी बैठक में अमृत स्नान और प्रमुख पर्वों की तारीख निश्चित कर ली गई है। हमारी गोदावरी मां की निर्मल धारा अविरल बहती रहे, इस दृष्टि से कई योजना बनाई गई है। इस हेतु इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हमने 4000 करोड़ रुपये के कार्यों की शुरुआत के लिए टेंडर आमंत्रित किए हैं, जबकि लगभग 2000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं।”

लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या यह कुंभ मेला भी प्रयागराज में 2025 में आयोजित महाकुंभ मेले की तरह सफल होगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में प्रयागराज में आयोजित मेला हर तरह से सफल रहा।

महाकुंभ मेला 2025 ने इसकी एक मिसाल कायम की है। ‌महाकुंभ मेला 2025 के एक माह ने केवल आध्यात्मिक जीवन को समृद्ध किया है। ‌ बल्कि उत्तर प्रदेश में दीर्घकालिक आर्थिक विकास की गति को भी रफ्तार दी है। महाकुंभ के आयोजन ने एक स्थायी विरासत को छोड़ा है, जिसने उत्तर प्रदेश को वैश्विक आर्थिक केंद्र में बदल दिया है। महाकुंभ का आयोजन के आर्थिक प्रभाव न केवल तात्कालिक है बल्कि यह कई वर्षों तक क्षेत्र में पर्यटन बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करता रहेगा।

कुंभ मेले का आर्थिक महत्व
महाकुंभ 2025 मेले का आर्थिक महत्व बहुत बड़ा है। ‌ केंद्र की मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने मिलकर इसको लेकर एक व्यापक नीति बनाई। महाकुंभ के शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ 2025 की तैयारी के लिए प्रयागराज में कुल 5,500 करोड़ रुपए की विकास परियोजनाओं का शुभारंभ किया था। ‌प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं की मदद के लिए 11 भारतीय भाषाओं में बहुभाषी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संचालित चैटबॉट , आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहायक को पेश किया गया था।

1.2 लाख करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त
महाकुंभ मेले में उन्नत सुविधा और कनेक्टिविटी ने आर्थिक तरक्की में मदद की। उद्योग जगत की संस्था की की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार 2013 में हुए महाकुंभ में कुल 12000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था, जिसमें हवाई अड्डे और होटल की बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल था। जबकि 2019 में कुंभ मेले से  1.2 लाख करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था। की के अनुसार कुंभ मेला आध्यात्मिक और धार्मिक प्रकृति का है लेकिन इससे जुड़ी आर्थिक गतिविधियों ने 2019 में विभिन्न क्षेत्रों में 6 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दिया था । योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य की पर्यटन अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन
13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक कुल 45 दिनों तक चले इस महापर्व में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।

 

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महाकुंभ की तैयारी
प्रयागराज के संगम के 12 किलोमीटर इलाके में स्नान घाट बनाए गए थे । सफाई ,निर्माण और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। ‌ बोरो में भारी भूसे, पीतल और मिट्टी के मिलावट से सीढ़ियां बनाई गई जबकि सभी घाटों पर महिलाओं के लिए अलग से चेंजिंग रूम बनाए गए थे। हर घाट पर अलग-अलग प्रतीक चिन्ह डमरू, त्रिशूल आदि लगे गए थे जिससे लोग उन्हें जल्दी से पहचान सके। ‌ महाकुंभ में आने वाली भारी भीड़ को देखते हुए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई थी संगम इलाके की निगरानी के लिए वॉच टावर लगाई गई थी और सभी घाटों पर पानी की बैरिकेडिंग की व्यवस्था भी की गई थी।

अस्थाई शहर की स्थापना
महाकुंभ नगर को हजारों टेंट और आश्रयो के साथ एक अस्थाई शहर में बदल गया था जिसमें आईआरसीटीसी के महाकुंभ ग्राम लग्जरी टेंट शहर जैसे सुपर डीलक्स आवास भी शामिल है जो आधुनिक सुविधाओं के साथ डीलक्स टेंट और विला प्रदान करता है।

-92 सड़कों का नवीनीकरण और 17 प्रमुख सड़कों का सौंदर्यीकरण

-3,308 पांटूनो का उपयोग करके 30 पांटून पुलो का निर्माण

नेविगेशन के लिए साइनेज
आगंतुकों के मार्गदर्शन के लिए कुल 800 बहुभाषी सिगनेज हिंदी अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाएं लगाए गए

सार्वजनिक उपयोगिताएं
मार्गो के लिए 2,69,000 से अधिक चेकर्ड प्लेटें बिछाई गई।
मोबाइल शौचालय और मजबूत अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों ने स्वच्छता सुनिश्चित की।

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