जवाहरलाल नेहरू यूनीवर्सिटी भारत का मुक्त स्थान है। यहां के 95 प्रतिशत छत्र देश की सेवा में लगे हैं। यह सरस्वती का स्थान है, यहां अध्ययन करें, चर्चा करें और शैक्षणिक रूप से वाद-विवाद करें। राम नवमी के दिन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कावेरी हॉस्टल में हवन कुछ लोगों को पसंद नहीं था, परंतु यह विचार हैं, अभी जांच होनी है। जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले के बाद पहली बार उपकुलपति शांतिश्री धुलिपुदी पंडित का बयान आया है।
अंग्रेजी दैनिक टीओआई को दिये साक्षात्कार में जेएनयू की उपकुलपति ने कहा कि, 10 अप्रैल (रामनवमी) को जो कुछ भी हुआ, वह अशोभनीय घटना थी। विश्वविद्यालय प्रशासन को भोजन को लेकर कोई समस्या नहीं है। सबकी अपनी पसंद है और स्वतंत्रता है कि, कौन क्या खाए क्या पहने? यह कोई कुश्ती का अखाड़ा नहीं है और न ही राजनीतिक का अड्डा। यदि कोई राजनीति करना चाहता है तो उसे जाकर चुनाव लड़ना चाहिए। जेएनयू ऐसे लोगों का राजनीतिक भविष्य बनाने में कोई सहायता नहीं करेगा।
ये भी पढ़ें – अमेरिका में ‘जयशंकर’, भारत की दो टूक से निपट गया यूएस का घमंड
यह सरस्वती का स्थान
उपकुलपति शांतिश्री पंडित ने छात्रों को उद्देश्यित होकर कहा है कि, यह विश्वविद्यालय (यूनीवर्सिटी) सरस्वती का स्थान है, यहां पढ़ें, चर्चा करें, शैक्षणिक दृष्टि से वाद-विवाद करें। परंतु न तो यह कुश्ती का अखाड़ा है और न ही राजनीतिक स्थान। जिसे राजनीति करनी हो वह जाकर चुनाव लड़े। जेएनयू किसी के राजनीतिक भविष्य में योगदान नहीं देगा। यह भारत का सबसे स्वतंत्र स्थान है।
समाप्त हो टुकड़े-टुकड़े का नेरेटिव
अपने साक्षात्कार में उपकुलपति ने कहा कि, अब टुकड़े-टुकड़े की कथा समाप्त होनी चाहिए। जेएनयू के 95 प्रतिशत छात्र देश की सेवा कर रहे हैं। बचे हुए 5 प्रतिशत को हम भूल नहीं सकते और वह हमेशा सामने आए हैं। परंतु, इस यूनीवर्सिटी ने देश को प्रतिभाएं भी दी हैं, विदेश मंत्री, वित्त मंत्री बहुत सारे आईएएस अधिकारी। मैं जो कुछ भी हूं, इस यूनीवर्सिटी ने मुझे बनाया है। अब टुकड़े-टुकड़े नेरेटिव (विचार/कहानी) को नहीं चलाना चाहिए।
राम नवमी को ही विरोध क्यों?
यहां मेस (भोजन व्यवस्था) कमेटी है। जो निश्चित करती है कि क्या भोजन बनेगा। 16 होस्टल हैं, मांसाहारी भोजन बनने पर कहीं कुछ भी नहीं होता, परंतु मैं पूछना चाहती हूं कि यह समस्या एक ही होस्टल में खड़ी क्यों होती है? इफ्तार पार्टी और हवन दोनों ही एक स्थान पर होते हैं। परंतु राम नवमी पर ही इसका विरोध क्यों हुआ? मुझे बताया गया कुछ लोगों को यह स्वीकार नहीं है। परंतु, यह सब अंदाज हैं, मैंने निर्देश दिया है प्रॉक्टर द्वारा जांच का, उसके बाद हमें सच पता चलेगा।
हिंसा के लिए स्थान नहीं, होगी कार्रवाई
उस दिन सायं 4.30 बजे से ही मुझ पर फूड फासिज्म को लेकर ट्विटर अटैक हो रहे थे। फासिज्म कहां है? पुलिस कैसे आई? पहले छात्रों के एक समूह ने एफआईआर लिखाई इसके बाद दूसरा समूह शिकायत करने गया। प्रबंधन ने पुलिस को नहीं शामिल किया। प्रतीक्षा करिये जांच रिपोर्ट आने का।
उस दिन छात्रों ने खुद निर्णय किया था कि, हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए हवन होने तक मांसाहारी भोजन नहीं बनेगा। जबकि दूसरे सभी होस्टल में मांसाहारी भोजन बना था। वहां ऐसी समस्या नहीं खड़ी हुई। मेस के सचिव ने मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है।
Join Our WhatsApp Community