आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि एक गधा लुप्तप्राय प्राणियों की सूची में शामिल हो गया है। निर्माण कार्यों में विशेष रुप में माल ढोने के काम में लाए जाने वाले गधों की संख्या में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। यह जानकारी ब्रुक इंडिया (बीआई) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में सामने आई है। देश भर में गधों की कुल संख्या में 61.23 प्रतिशत की कमी आई है। संगठन ने यह रिपोर्ट सरकार के पशुपालन विभाग को सौंप दी है।
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2012 और 2019 की पशुधन जनगणना के दौरान, भारत में गधों की संख्या में कुल 61.23 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में गधों का वध किया जा रहा है। 2012 की जनगणना के अनुसार, भारत में लगभग 0.32 मिलियन गधे थे। 2019 की पशुधन गणना के अनुसार इसमें 0.12 मिलियन की कमी आई ।
ब्रूक इंडिया इंस्टीट्यूट के सदस्य ने दी जानकारी
सर्वे करने वाले ब्रुक इंडिया इंस्टीट्यूट के सदस्य शरत के. वर्मा ने बताया कि गदहों की संख्या में करीब 61.23 प्रतिशत की गिरावट आई है। बीआई टीम ने महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों का दौरा किया। 2012 और 2019 की पशुधन गणना के दौरान गधों की संख्या में गिरावट देखी गई। हमने कई गधों के मालिकों, पशु व्यापारियों, पशु मेलों के आयोजकों और राज्य तथा केंद्रीय पशुपालन अधिकारियों से बात की ताकि गिरावट के विवरण का पता लगाया जा सके।”
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क्या कहते हैं व्यापारी
एक स्थानीय गधा व्यापारी का जिक्र करते हुए वर्मा ने कहा, “कुछ साल पहले, चीन में एक व्यक्ति ने उससे 200 गधे प्रति माह खरीदने के लिए संपर्क किया था। उसने कहा कि उसे गधे की खाल चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि जीवित गधों, उसकी खाल और मांस के निर्यात को अवैध रूप से सुगम बनाया जा रहा है।
चीन जिम्मेदार
न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में गधों की संख्या में गिरावट के लिए चीन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। क्योंकि गधे की खाल का इस्तेमाल ‘इजियाओ’ नाम की पारंपरिक चीनी दवा बनाने में किया जाता है। उन्होंने कहा, “इजियाओ को जीवन और सेक्स ड्राइव को लम्बा करने के लिए उपयोगी माना जाता है। इसके साथ ही यह अन्य बीमारियों को ठीक करने में भी उपयोगी है।”
गधे की मांस की मांग
देश के कुछ हिस्सों में गधे के मांस की बहुत मांग है, क्योंकि माना जाता है कि इससे स्वास्थ्य में लाभ होता है। यह भी एक कारण है, जिसके कारण गधों की संख्या में कमी आई है। हालांकि, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के अनुसार, गधे के मांस का उपयोग भोजन के लिए नहीं किया जा सकता है। गधे का मांस खाना गलत है। इस संबंध में आईएएनएस ने बताया कि इसकी जांच आंध्र प्रदेश में चल रही है।