नासा के लिए ऐतिहासिक दिन, ऑस्ट्रेलिया से पहला रॉकेट किया लॉन्च

नासा अब तक कई बड़े मिशन को अंजाम दे चुका है। अपोलो प्रोग्राम के तहत नासा 1969-1972 के बीच 12 लोगों को चंद्रमा पर भेज चुका है।

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नेशनल एयरोनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने 27 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया की धरती से 27 जून को पहला राकेट प्रक्षेपित किया। द ऑस्ट्रेलियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन के अनुसार बारिश और हवा के कारण प्रक्षेपण में विलंब के बाद 27 जून को तड़के नादर्न टेरिटोरी में अर्नहेम स्पेस सेंटर से सबऑर्बिटल साउंडिंग रॉकेट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरी।

वर्ष 1995 के बाद यह पहला मौका है, जब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने ऑस्ट्रेलिया से रॉकेट लॉन्च किया है। विदेशी धरती पर एक वाणिज्यिक लॉन्चपैड से इसका पहला प्रक्षेपण किया गया है। नासा ने कहा कि रॉकेट, एनटी से उड़ान भरने वाले तीन में से पहला, दक्षिणी गोलार्ध में केवल खगोल भौतिकी अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष में लगभग 300 किलोमीटर की यात्रा करेगा। नादर्न टेरिटोरी की मुख्यमंत्री नताशा फाइल्स ने इस प्रक्षेपण को ऑस्ट्रेलिया के लिए बेहद गर्व का क्षण बताया है।

2024 तक प्रति वर्ष 50 लॉन्च की मेजबानी करना लक्ष्य
अर्नहेम स्पेस सेंटर का स्वामित्व और संचालन इक्वेटोरियल लॉन्च ऑस्ट्रेलिया (ईएलए) करता है। जिसका लक्ष्य 2024 तक प्रतिवर्ष 50 लॉन्च की मेजबानी करना है। अगला लॉन्च 04 जुलाई को होगा। उल्लेखनीय है कि नासा एक सरकारी अमेरिकी अंतरिक्ष संस्थान है। इसका गठन 1 अक्टूबर 1958 को किया गया था। नासा का मुख्यालय वॉशिंगटन में है। नासा का गठन द नेशनल एडवाइजरी कमेटी फॉर एयरोनॉटिक्स के स्थान पर किया गया था।

 अब तक के सफल अभियान
-नासा अब तक कई बड़े मिशन को अंजाम दे चुका है। अपोलो प्रोग्राम के तहत नासा 1969-1972 के बीच 12 लोगों को चंद्रमा पर भेज चुका है। मानवरहित यान वॉयजर वन को नासा ने 5 सितंबर, 1977 को अंतरिक्ष में छोड़ा था। तब से लेकर अब तक यह अंतरिक्ष के गहरे रहस्यों को सामने ला चुका चुका है। नासा ने दिसंबर 2017 में इसके इंजन को 37 साल बाद चालू किया था।

-नासा ‘अपोलो 8’ के तहत दिसंबर 1968 में अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को चांद के आसपास की कक्षा में भेज चुका है। नासा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में भी सहयोगी है। नासा ने 24 अप्रैल, 1990 को अंतरिक्ष में हबल टेलीस्कोप भेजा था। यह टेलीस्कोप अरबों किलोमीटर दूर तारों की साफ तस्वीरें पृथ्वी पर भेजता है। पृथ्वी पर घने वातावरण के कारण ऐसा करना संभव नहीं है।

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