मुस्लिम बहुविवाह प्रथा चुनौती मामलाः दिल्ली उच्च न्यायालय में होगी सुनवाई

मुस्लिम पुरुषों को अपनी पत्नी की सहमति के बिना दूसरी शादी करने को गैरकानूनी घोषित किया जाए। न्यायालय में याचिका दायर कर यह मांग की गई है।

91

दिल्ली उच्च न्यायालय में 23 अगस्त को मुस्लिम पुरुषों के बहुविवाह करने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी। 2 मई को उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।

यह याचिका 28 वर्षीय मुस्लिम महिला रेशमा ने दायर की है। इसमें मांग की गई है कि मुस्लिम पुरुषों को अपनी पत्नी की सहमति के बिना दूसरी शादी करने को गैरकानूनी घोषित किया जाए। मुस्लिम पुरुषों में बहुविवाह प्रथा एक क्रूर परंपरा है। इससे महिलाओं का अपमान होता है। शरीयत में बहुविवाह की अनुमति असाधारण परिस्थितियों में है। ये परिस्थितियां पहली पत्नी की बीमारी या बांझपन हो सकती हैं।

ये भी पढ़ें – सर्वोच्च न्यायालय ने ऑल इंडिया फुटबॉल एसोसिएशन का जिम्मा महासचिव को सौंपा

मामला संविधान बेंच को रेफर
सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को सूचित किया गया है कि सर्वोच्च न्यायालय भी इस मामले पर सुनवाई कर रहा है।  सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले को संविधान बेंच को रेफर किया है। याचिकाकर्ता ने जनवरी 2019 में मोहम्मद शोएब खान से दिल्ली में मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत शादी की थी। याचिका में कहा गया है कि वह 11 महीने के संतान की मां है। शादी के वक्त पति ने वादा किया था कि वो जीवन भर किसी दूसरी महिला से शादी नहीं करेगा। अब उसका पति उसे तलाक देकर दूसरी शादी करना चाहता है।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.