चौखट में तुम्हारी हम दम तोड़ जाएंगे! अजीबोगरीब मांग को लेकर एक दशक से थाने में बैठी है विधवा

फतेहपुर जनपद के चांदपुर थानाक्षेत्र के परसेढा निवासी पप्पी सिंह की शादी 30 वर्ष पूर्व कुंडौरा निवासी जितेंद्र सिंह के साथ हुई थी।

80

चौखट में तुम्हारी हम दम तोड़ जाएंगे, जब हम नहीं होंगे तुम्हें याद आएंगे। सन् 1993 में रिलीज हुई फिल्म आंखें का यह गाना करीब-करीब एक दशक से एक अजीबोगरीब फरियाद लेकर थाने पर बैठी विधवा महिला पर सटीक साबित हो रहा है। इस एक दशक में हमीरपुर के सुमेरपुर थाने में करीब एक दर्जन थानाध्यक्ष ने आकर यहां कुर्सी संभाली। परंतु कोई भी इसकी समस्या का समाधान नहीं कर सका। आज भी यह न्याय की आस में थाने पर बैठी हुई है।

अप्रैल 1993 में गोविंदा एवं चंकी पांडेय अभिनीत आंखें फिल्म में गाना चौखट पर तुम्हारी दम तोड़ जाएंगे… को गोविंदा और चंकी पांडेय पर फिल्माया गया था। दोनों अभिनेता फिल्म अभिनेत्रियों के सामने शादी की गुजारिश करते दिखाए गए थे। ठीक ऐसी ही कुछ समस्या पिछले 10 वर्षों से थाने में बैठी पप्पी सिंह कुंडौरा की है। यह 10 वर्ष पूर्व सपा शासनकाल के दौरान अपनी शादी कराने की समस्या को लेकर थाने में दाखिल हुई थी। तत्कालीन थानाध्यक्ष सुभाष यादव ने यह कहते हुए थाने में बैठने को कहा था कि बाद में तुम्हारी समस्या को फुर्सत में सुनेंगे। तब से यह थाने पर ही बैठी हुई है।

यह है मामला
बता दें कि फतेहपुर जनपद के चांदपुर थानाक्षेत्र के परसेढा निवासी पप्पी सिंह की शादी 30 वर्ष पूर्व कुंडौरा निवासी जितेंद्र सिंह के साथ हुई थी। दोनों से एक बेटा बउआ सिंह है। बताते हैं कि पप्पी सिंह मायके परसेढा में थी और जीतेंद्र सिंह इसको लेने ससुराल गया था। विदाई को लेकर जीतेंद्र सिंह और पप्पी सिंह के पिता शिवपाल सिंह के मध्य विवाद हो गया। विवाद के उग्र होने पर मारपीट हो गई। जिसमें जीतेंद्र सिंह की मौत हो गई। इस घटना में जितेंद्र सिंह के भाई जगतपाल सिंह ने पप्पी सिंह एवं शिवपाल सिंह को नामजद कराकर मुकदमा कायम करा दिया। पुलिस ने गैर इरादतन हत्या का मुकदमा कायम करके पिता पुत्री को जेल भेज दिया। सजा होने पर पप्पी सिंह करीब 15 वर्ष जेल की सलाखों में बंद रही और सजा काटकर 2011 में बाहर आई।

मानसिक रूप से बीमार
तब तक यह कुछ मानसिक रूप से भी कमजोर हो गई। जेल से छूटने के बाद इसको मायके में आसरा नहीं मिला। लिहाजा यह मायके से ससुराल आ गई। परंतु ससुराली जनों ने भी इसको पनाह नहीं दी और गांव से भगा दिया। भटकते हुए यह 2012 में थाने में आ गई और जेठ आदि की शिकायत करके बंटवारे के तहत हिस्सा दिलाने एवं किसी हैंडसम युवक से शादी कराने की समस्या रखी। तत्कालीन थानाध्यक्ष सुभाष यादव इसकी समस्या सुनकर भौचक रह गए और उसका मन भरमाने के उद्देश्य से कह दिया कि बैठो बाद में तुम्हारी समस्या सुनकर समाधान करेंगे। तब से पप्पी सिंह थाने की दहलीज पर ही डेरा जमाए हुए है। तब से अब तक यहां करीब एक दर्जन इंस्पेक्टर तैनात हो चुके हैं। सभी को उसने अपनी व्यथा सुनाई। परंतु समस्या का समाधान कोई नहीं कर सका। सर्दी, बरसात, गर्मी में यहां थाने कैंपस में मौजूद रहकर अपनी समस्या के समाधान की बाट जोह रही है।

सरकार की कोई योजना भी नहीं आ सकी काम
इस दौरान सरकारों ने मिशन शक्ति जैसी तमाम योजनाओं को धरातल पर उतारा, परंतु कोई भी योजना पप्पी सिंह की समस्या का समाधान नहीं खोज सकी। यह थाने में मौजूद रहकर फरियादियों से 5-10 रुपये मांगकर पेट भर लेती है और अपनी समस्या के समाधान की आस में दिन-रात आसमान की ओर देखती रहती है। इसका एकलौता पुत्र कहां है। किसके पास रह रहा है। इसको पता नहीं है। उसे बस एक ही धुन सवार रहती है कि उसे ससुराल वालों ने हिस्सा दिलाकर किसी हैंडसम युवक से विवाह करा दिया जाए। वरना मैं यहीं पर बैठे-बैठे प्राण त्याग दूंगी। मगर यहां से वापस नहीं जाऊंगी।

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.